भोपाल : भारतीय पुरातत्व विभाग की टीम ने मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ में इस साल एक खोज अभियान के तहत कई प्राचीन चीजों की खोज की है। आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के जबलपुर सर्किल के अधिकारी शिवाकांत वाजपेई के ने बताया कि बाधवगढ़ का टाइगर रिजर्व 1100 वर्ग किलोमीटर में फैला है। और अभी एक जोन में सर्च अभियान चला जिसमें 26 गुफाएं मिली हैं। ये गुफाएं चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। साथ ही इनमे कुछ महायान बौद्ध धर्म से जुड़ी हैं।
दरअसल एएसआई को जो अवशेष मिले हैं उनमें सबसे खास दूसरी से पांचवीं सदी की लगभग 26 गुफाएं हैं, जो काफी कुछ महाराष्ट्र और आसपास के इलाके में मिलने वाली गुफाओं जैसी हैं। यह गुफाएं बौद्ध धर्म की महायान शाखा से जुड़ी हुई मानी जाती हैं। गुफाओं के साथ ही 24 अभिलेख ब्राह्मी और अन्य भाषाओं में मिल हैं। इनमें मथुरा, कौशाम्बी और कई अन्य नामों का भी जिक्र मिला है।
शिवाकांत वाजपेयी ने बताया कि बांधवगढ़ के ताला इलाके में जहां बौद्ध गुफाएं, स्तूप व खंभे मिले हैं, तो वहीं दूसरी ओर हिंदू मंदिरों के अवशेष, मूर्तियां और अभिलेख भी मिले हैं। गुफाओं में ज्यादातर बौद्ध गुफाएं हैं लेकिन कुछ गुफाओं के भीतर ऐसे भी अवशेष मिले हैं जो बौद्धों से जुड़ी नहीं है। इस गुफाओं में पत्थर से बने बिस्तर से लेकर तकिए और कुछ गुफाओं के फर्श पर बोर्ड गेम के पैटर्न व उनकी दीवारों में आले बने हुए हैं। कुछ गुफाओं के प्रवेश द्वार बौद्ध चैत्य के आकार वाले हैं। साथ ही जो 24 अभिलेख मिले हैं ये ब्राह्मी लिपि, शंख व नागरी लिपि में मिले हैं। ये सब गुफाओं के अलावा हिंदू मूर्तियों के पास भी पाए गए हैं।
जानकारों की माने तो इस खोज में 26 मंदिर व उनके अवशेष और दो शैव मठ भी मिले हैं, जो नौवी से11वीं सदी के हैं। साथ ही 46 मूर्तियां भी मिली हैं। जिनमें सबसे आकर्षक मूर्तियां विष्णु के दशावतार से जुड़ी हैं। इनमें विष्णु के वराह, कूर्म व मत्स्य अवतार की मूर्तियां व एक जलाशय के पास शयन करते विष्णु की बेहद विशाल मूर्ति प्रमुख हैं। बताया जा रहा है कि एक मंदिर में राम दरबार भी मिला है। वहीं संत कबीर से जुड़े मंदिरों के अवशेष भी मिले हैं। वराह की एक विशालकाय खंडित प्रतिमा भी मिली है, जो दुनिया की सबसे बड़ी वराह प्रतिमा हो सकती है।
बताया जा रहा है कि सर्वेक्षण में 26 प्राचीन मंदिर, 26 गुफाएं, 2 मठ, 2 स्तूप, 24 अभिलेख, 46 प्रतिमाएं, 20 बिखरे हुए अवशेष एवं 19 जल संरचनाएं मिली हैं। इसके साथ ही बांधगढ़ में कतिपय मुगलकालीन एवं शर्की शासकों के सिक्के भी प्राप्त हुए हैं। एएसआई ने बांधवगढ़ के जंगलों में 1938 में भी गुफाओं की खोज की थी। उस समय के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के बांधवगढ़ के अन्वेषण प्रमुख डॉ. एन पी चक्रवर्ती ने मुख्य रूप से शिलालेखों पर केन्द्रित अन्वेषण एवं अभिलेखीकरण का कार्य किया था। उन्होंने बघेल राजा की अनुमति से सर्वेक्षण किया था।
वहीं इन सबके अलावा यहां बांधवगढ़ का एक प्राचीन किला भी है, जिसका जिक्र रामायण व शिवपुराण में मिलता है। ऐसा माना जाता है कि रावण वध करने के बाद लंका से लौटते समय श्रीराम ने यह किला लक्ष्मण को उपहार में दिया था। और भाई द्वारा दिए किले की वजह से ही किले का नाम बांधवगढ़ पड़ा।
बता दें कि मध्य प्रदेश में उमरिया जिले के बांधवगढ़ में फैला इलाका सिर्फ टाइगर रिजर्व के लिए ही नहीं जाना जाता। यह जंगली क्षेत्र अपने भीतर प्राचीन संस्कृति व सभ्यता की तमाम परतें छिपाए बैठा है।