मुंबई : महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव इसी साल नवंबर तक हो सकते हैं। इस बात का अंदेशा महा विकास अघाड़ी के नेताओं को हो चला है। यही वजह है कि पिछले रविवार को एनसीपी चीफ शरद पवार ने आनन-फानन में अपने घर महा विकास अघाड़ी के नेताओं की बैठक बुलाई। इस दौरान महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य शरद पवार ने सभी को चुनाव के लिए तैयार रहने की सलाह दी। पवार की इस सलाह पर तीनों पार्टियों में राजनीतिक हलचल अचानक तेज हो गई है। शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने बीते बुधवार को अपनी-अपनी पार्टी की बैठक बुलाकर कैडर को चुनाव की तैयारियों में जुटने का फरमान जारी कर दिया है। वहीं कर्नाटक में जीत से उत्साहित कांग्रेस ने भी 23 तारीख को प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। उसी दिन कांग्रेस प्रदेश कोर कमिटी की भी बैठक रखी गई है। इन तीनों पार्टियों के अलावा बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का दो दिन का महाराष्ट्र दौरा और गुरुवार को पुणे में आयोजित प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक भी आगामी चुनावी तैयारियों का ही हिस्सा हैं।
एमवीए नेताओं की चर्चा की तीन बड़ी बातें
शरद पवार के घर हुई बैठक में चुनाव और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जो विचार-विमर्श हुआ, उसका सारांश बैठक में शामिल एक बड़े नेता ने बताया। चर्चा में जो तीन बातें प्रमुख तौर पर उभर कर आईं वह इस प्रकार हैं:
1- आशंका है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों में हार और शिवसेना के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी साल के अंत के राज्य में विधानसभा चुनाव करा सकती है। ताकि लोगों में जो एंटी इंकंबैंसी है या जो गुस्सा है वह विधानसभा चुनाव में निकल जाए और उसके बाद लोकसभा चुनाव में बीजेपी को होने वाले संभावित नुकसान से बचाया जा सके।
2- सुप्रीम कोर्ट ने 16 विधायकों की अयोग्यता के संदर्भ में विधानसभा अध्यक्ष को फैसला लेने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने भरत गोगावले की विप को गैर-कानूनी घोषित कर दिया है। इसका मतलब साफ है कि उस वक्त शिवसेना के विप सुनील प्रभु द्वारा जारी विप ही लागू थी। यानी शिंदे के साथ गए विधायकों ने शिवसेना की विप का उल्लंघन किया है। यह सब कुछ विधानसभा के रिकॉर्ड में दर्ज है। यानी 16 विधायकों का निलंबन तो तय है। सुप्रीम कोर्ट चाहता था तो खुद भी उन्हें अयोग्य करार दे सकता था, लेकिन वह अध्यक्ष के जरिए ही इसे कराना चाहता है।
3- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जनता के बीच विपक्ष मैसेज लेकर गया कि शिंदे सरकार असंवैधानिक है। अब बीजेपी इस सरकार को बचाने की जितनी कोशिश करेगी, जनता में उसकी छवि उतनी खराब होगी। इसका फायदा आखिरकार महा विकास आघाडी को ही मिलेगा। महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने में अभी पूरा एक साल है, इतने लंबे वक्त तक अध्यक्ष भी फैसले को लटकाए नहीं रख सकते, इसलिए अध्यक्ष को तो 16 विधायकों को अयोग्य करार देना ही पड़ेगा। जिसमें मुख्यमंत्री शिंदे भी हैं। ऐसे में सरकार का गिरना तय है।
अगर सरकार गिरना तय है, तो क्या होगा बीजेपी का गेम प्लान?
इस सवाल पर महा विकास आघाडी के बड़े नेता ने कहा कि इसी साल के अंत तक नवंबर-दिसंबर में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में चुनाव होने हैं। बहुत संभव है कि बीजेपी इसके साथ ही महाराष्ट्र में भी विधानसभा चुनाव करा दे। क्योंकि बीजेपी और शिंदे के खिलाफ राज्य में जिस तरह का माहौल है और उद्धव के पक्ष में सहानुभूति की लहर देखने को मिल रही है। बीजेपी विधानसभा चुनावों से पहले लोकसभा चुनाव का सामना करने या लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव कराने का खतरा शायद ही ले। बीजेपी के बड़े नेता और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दो दिन पहले ही पुणे में कहा है कि अक्टूबर-नवंबर में राज्य में महानगर पालिकाओं के चुनाव हो सकते हैं। महा विकास अघाड़ी के नेताओं का मानना है कि फडणवीस ने जानबूझकर महानगर पालिकाओं के चुनाव का नाम लिया है। जबकि असल तैयारी तो विधानसभा चुनाव कराने की है।