जबलपुर। जबलपुर में एक निजी होटल में चल रहे फर्जी अस्पताल के मामलें में जल्द कई बड़े खुलासे हो सकते है, जबलपुर के सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल के एक निजी होटल में भर्ती मरीजों के खुलासे में सामने आया है की यह मरीज आयुष्मान योजना के नाम पर भर्ती थे, इस अस्पताल के संचालक डॉ अश्विनी पाठक पहले भी कई बार अपने कारनामों को लेकर विवादों में रह चुके है, पड़ोसियों से विवाद तो आम बात है वही 1999 में यह किडनी बेचने के आरोप में जेल की हवा खा चुके है वही वर्ष 2000 में डॉ अश्विनी पाठक मुंबई में एक जमीन में हेराफेरी के मामलें में भी जेल की सजा काट चुके है। इससे पहले भी कई बार यहाँ भर्ती मरीजों के परिजनों ने इन पर किडनी निकालने के गंभीर आरोप लगाए है। कोरोना संक्रमण काल में भी इन पर दो मामलें इसी तरह के फर्जीवाड़े को लेकर दर्ज हो चुके है।
नेपियर टाउन स्थित सेंट्रल इंडिया किडनी हॉस्पिटल का जहां अस्पताल के ठीक बगल में स्थित होटल वेगा में मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा था। मौके पर बड़ी संख्या में आयुष्मान योजना के लाभार्थी भी भर्ती मिले। लापरवाही ऐसी की एक पलंग पर दो-दो मरीजों को लिटा कर इलाज किया जा रहा था और सुविधाओं के नाम पर कोई भी आपातकालीन व्यवस्था होटल में मौजूद नहीं थी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की माने तो अस्पताल संचालक कोरोना काल के समय का हवाला दे रहे हैं पर वर्तमान समय में ऐसा कोई भी नियम नहीं है कि होटल में अस्पताल का संचालन किया जा सके। कोरोना काल में ही आइसोलेशन के लिए छूट दी गई थी।
बड़ी बात यह है कि होटल में सबसे ज्यादा आयुष्मान भारत के मरीज भर्ती थे और जिनकी हालत गंभीर नहीं थी जिन्हें प्रथम दृष्टया देखने पर समझ में आ रहा था कि इन्हें बिल बढ़ाने के लिए भर्ती करके रखा गया है यह सभी विषय जांच के हैं जिसको लेकर आयुष्मान योजना के नोडल अधिकारी जांच कर रहे हैं इस पूरे मामले में आयुष्मान योजना के साथ-साथ अस्पताल संचालन के तरीके पर भी गंभीर सवाल खड़े करें हैं।