सीएम शिवराज की बड़ी घोषणा, 40 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों को मिलेगा लाभ, प्रबंधकों का बढ़ेगा मानदेय…

भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तेंदूपत्ता संग्राहकों को लेकर बड़ा ऐलान किया है। सीएम ने कहा है कि प्रदेश के वनवासी भाइयों को वनों के उत्पाद से अधिकाधिक लाभ दिलवाने के लिए अनेक निर्णय लिए गए हैं।वनों से वनवासियों को आर्थिक समृद्धि दिलाने के उद्देश्य से भी फैसले लिए गए हैं।  40 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों को पूर्व सरकार द्वारा बंद की गई सुविधाएँ फिर से दी जाएंगी। मध्यप्रदेश के वन, पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेंगे वही 1071 लघु वनोपज समिति प्रबंधकों का मानदेय भी बढाया गया है।

भोपाल के लाल परेड मैदान में सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वन मेले के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम शिवराज ने कहा कि वन मेला भी वनोपज उत्पादकों की आय वृद्धि का प्रमुख माध्यम है। वन्य-प्राणी संरक्षण के क्षेत्र में प्रदेश विशेष पहचान बना रहा है।  मध्यप्रदेश में वनोपज से स्थानीय वनवासियों को लाभ दिलवाने की पुख्ता व्यवस्था की गई है। न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित होने से तेंदूपत्ता संग्राहकों को हानि नहीं होती। पेसा एक्ट में वनवासी क्षेत्र की पंचायतों को अधिकार दिए गए हैं। तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य पेसा विकासखण्डों में पंचायतों के माध्यम से हो सकेगा।

मानदेय बढ़ाया

सीएम चौहान ने कहा कि लघु वनोपज समिति प्रबंधकों की भूमिका महत्वपूर्ण और सराहनीय है। इनका मानदेय वर्ष 2016 में 5 हजार रूपए था, जो 6 हजार रूपए किया गया था। इसे बढ़ा कर 10 हजार रूपए तक लाने का कार्य हुआ। अब इसमें पुन: वृद्धि कर 13 हजार रूपए मासिक किया जाएगा। प्रदेश में समिति प्रबंधकों की संख्या 1071 है। मेले में 12 देशों के प्रतिनिधि और वैज्ञानिक भी आए हैं। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय वन मेले की थीम “लघु वनोपज से आत्म-निर्भरता” है। वन मेले का आयोजन वन विभाग और मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज (व्यापार एवं विकास) सहकारी संघ मर्यादित द्वारा किया गया है।

वन, पर्यटकों के लिए  बनेंगे आकर्षण का केंद्र

सीएम ने कहा कि मध्यप्रदेश सिर्फ टाइगर और लेपर्ड स्टेट ही नहीं अब चीता स्टेट भी है। अफ्रीका से आये चीतों को मध्यप्रदेश की जलवायु रास आ गई है। प्रदेश के वन, चीतों के कारण पर्यटन की दृष्टि से आकर्षण का केंद्र बनेंगे। ईको टूरिज्म की बात हो या वन औषधियों का महत्व हो, मध्यप्रदेश की अपनी अलग पहचान है। प्रदेश के वनों में वन औषधियों का प्रमुखता से उत्पादन होता है। इनसे अनेक रोग ठीक होते हैं।कोरोना काल में वन औषधियों से निर्मित काढ़ा ही काम आया था। मध्यप्रदेश का काढ़ा अन्य प्रदेशों के लोगों के भी काम आया।

40 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों को लाभ

सीएम ने कहा कि वर्ष 2017 और 2018 में तेंदूपत्ता श्रमिकों को पानी की कुप्पी, साड़ी और चप्पल आदि सामग्री प्रदाय की गई थी। वर्ष 2019 में तत्कालीन सरकार ने तेंदूपत्ता संग्राहकों को ये सुविधाएँ देना बंद कर दी। इसके बाद कोरोना काल में व्यवस्थाएँ प्रभावित हुईं। राज्य सरकार इस वर्ष से 40 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों को यह सामग्री फिर से प्रदान करेगी। जनजातीय बंधु और अन्य वनवासी बंधुओं का हित सुनिश्चित किया जाएगा। चिरौंजी का समर्थन मूल्य भी तय किया जाएगा, जिससे वनवासियों को पूरा लाभ मिल सके।

महुए की बढ़ती कीमत वनवासियों को दिलवाएगी लाभ

सीएम चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश का महुआ जो 20 या 30 रूपए किलो तक बिकता था, अब विदेशों तक पहुँच रहा है। डेढ़ सौ रूपए किलो तक इसके दाम बढ़ गए हैं। इंग्लैंड सहित कई देशों में महुआ से चाय बनाई जा रही है। इसके औषधीय गुण भी हैं। इसी तरह हर्रा, बहेड़ा और आँवला आदि उत्पाद गरीबों की आय बढ़ाने के माध्यम हैं। मुलेठी जैसी औषधियाँ दैनिक उपयोग में काम आ रही है। लोगों को निरोग रखने और वनवासी गरीब भाइयों की आय बढ़ाने के लिए इन उत्पादों का विशेष महत्व है। महुआ के अच्छे दाम देश-विदेश में मिल रहे हैं। वन मेले में पूर्व में जो करारनामे हुए थे वे 14 करोड़ के थे। इस वर्ष 25 करोड़ रूपए तक के करारनामे होने की संभावना है।

मेले के सभी दिनों में महत्वपूर्ण गतिविधियाँ

  • वन मेले में सातों दिन तरह-तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए कलाकार आमंत्रित किए गये हैं, जिनका आनंद मेले में आने वाले नागरिक ले सकेंगे।
  • स्कूली और महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएँ भी की जा रही हैं। मेले के समापन दिवस 26 दिसंबर को पुरस्कार वितरण होगा।
  • इंडोनेशिया और फिलीपींस सहित 12 देशों के प्रतिनिधि मेले में शामिल हो रहे हैं। मेले में मध्यप्रदेश ईको डेवलपमेंट बोर्ड सहित अनेक शासकीय उपक्रम के स्टॉल लगाए गए हैं।
  • अनेक निर्यातक, व्यापारी, किसान और ग्रामीण क्षेत्र की सहकारी संस्थाओं के सदस्य विभिन्न उत्पादों के साथ मेले में आए हैं। यह मेला वन उत्पाद के उत्पादकों को विपणन की सुविधा उपलब्ध करवाता है।
  • मेले में 22 और 23 दिसम्बर को “लघु वनोपज से आत्म-निर्भरता” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला एवं 24 दिसम्बर को क्रेता-विक्रता सम्मेलन होंगे।

Leave a Reply