2023 से पहले राज्य सरकार का बड़ा फैसला, हर महीने मिलेगी 2500 पेंशन, ये होंगे पात्र, जानें नियम…

चण्डीगढ़ : नए साल से पहले हरियाणा सरकार ने एक और बड़ा फैसला किया है। कैंसर पीड़ितों के बाद अब प्रदेश में डयूकेन मस्क्यूलर डिस्ट्रॉफी सहित दुर्लभ रोगों से पीडित रोगियों को भी 2500 रुपये प्रति माह पेंशन दी जाएगी, प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग इस विषय पर काम कर रहा है। इसकी घोषणा राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने की है। उन्होंने कहा कि डीएमडी अनुवांशिक बीमारी है और इसका इलाज महंगा होता है।

दरअसल, हरियाणा के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री अनिल विज ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन प्रश्नकाल के दौरान बीजेपी विधायक असीम गोयल के सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में डयूकेन मस्क्यूलर डिस्ट्रॉफी सहित दुर्लभ रोगों से पीडित रोगियों को 2500 रुपये प्रति माह पेंशन दी जाएगी। दुर्लभ रोगों की राष्ट्रीय नीति 2021 के तहत डयूकेन मस्क्यूलर डिस्ट्रॉफी सहित दुर्लभ रोगों से पीड़ित रोगियों के उत्कृष्ट केंद्रों मे उपचार के लिए 50 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही हैं।

बता दे कि हाल ही में हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने स्टेज- 3 व 4 के कैंसर पीड़ितों के लिए 2500 रुपये मासिक पेंशन शुरू करने का निर्णय लिया है। यह योजना नए साल में शुरू होगी और योजना के लिए बजट में 68 करोड़ 42 लाख रुपये से अलग से प्रावधान किया जाएगा। इससे प्रदेश के हजारों कैंसर पीड़ितों को मदद मिलेगी। इसका लाभ उन मरीजों को मिलेगा जिनके परिवार की वार्षिक आय 3 लाख रुपये तक है। इन पेंशनधारकों की पेंशन सीधे बैंक खातों में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन व्यवस्था (PFMS) के जरिये भेजी जाएगी।

जानें क्या है बीमारी

डीएमडी एक खतरनाक जानलेवा बीमारी है, यदि समय रहते इस बीमारी का इलाज ना किया जाए तो मरीज की मौत हो सकती है। बच्चों में होने वाली यह बीमारी काफी गंभीर होती है, इसमें मरीज की मांशपेशियां कमजोर होने लगती हैं और समय पर इलाज ना मिलने पर मरीज असमर्थ हो जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है।

कैसे होगा इलाज

डीएमडी के मरीज को स्टेम सेल थेरेपी के जरिए ठीक किया जाता है, इस थेरेपी के जरिए मरीज के क्षतिग्रस्त टिश्यू को फिर से सही किया जाता है। भारत में इस बीमारी के रोगियों की संख्या लाखों में है। हरियाणा के अलावा उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों में इसके रोगी भारी संख्या में हैं। इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों को हिमाचल प्रदेश, बिहार और राजस्थान जैसे राज्यों की राज्य सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

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