भाजपा के काले कारनामे आपको बताते हैं

मोदी सरकार के 5 बड़े घोटाले: 2014 का चुनाव भाजपा ने पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान हुए घोटालों को मुद्दा बनाकर जीता था. अपने चुनावी भाषण में मोदी ने बार-बार कहा – “ना खाऊंगा और न खाने दूंगा”. लेकिन आज सच्चाई क्या है? वर्तमान सरकार में एक के बाद एक घोटाले सामने आए हैं.

बैंक ऋण घोटाला

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अनुसार, पिछले 5 साल में देश भर के बैंकों से फ्रॉड के 23,000 मामले सामने आए हैं। इससे तकरीबन 1 लाख करोड़ रूपये का ऋण गबन हुआ ( टाइस ऑफ इंडिया, 2 मई 2018)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले 4 साल के कार्यकाल में बैंकों से हुई लूट की रकम पिछली सरकार से 55,000 करोड़ रूपये यानी तीन गुना अधिक है. (नेशनल होराल्ड, 25 मई 2018). यह देश की जनता की गाड़ी कमाई से जमा पैसे हैं जिन्हें लूटने वाले पर मोदी सरकार न सिर्फ मेहरबान है बल्कि उसमें सीधे-सीधे भागीदार है.

नीरव मोदी : पीएनबी से 11,400 करोड़ रूपये ऋण का गबन

1 जनवरी 2018 को नीरव मोदी और 4 जनवरी को उसके चाचा मेहुल चौकसी देश छोड़कर भाग निकले, जबकि प्रधानमंत्री कार्यालय में 2016 से ही नीरव मोदी और चौकसी के खिलाफ़ शिकायत दर्ज है. इसके बाद नीरव मोदी दाओस शिखर सम्मेलन में मोदी के साथ बैठे मिले जिसकी तस्वीर खुद विदेश मंत्रालय और पीएमओ की ओर से जारी की गई थी. दावोस सम्मेलन के खत्म होने के अगले दिन 29 जनवरी को सीबीआई ने नीरव मोदी के ख़िलाफ़ पहली बार केस दर्ज किया.

सीबीआई ने स्पष्ट किया है कि नीरव मोदी द्वारा अधिकांश बैंक फ्रॉड और नवीनीकरण वर्ष 2017-18 में किया गया. 4 जुलाई 2018 में एंटीगुआ सरकार ने कहा कि उसने मेहुल चोकसी को नागरिकता इसलिये दी क्योंकि भारत सरकार ने विदेश जाकर बसने की उनकी काग़ज़ी कार्यवाही में कोई रुकावट नहीं डाली.

ललित मोदी: 7.000 करोड़ का फ्रॉड करने के बाद विदेश भागा

जून 2015 में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मानवीय आधार पर विदेश दौरे के लिय ज़रूरी कागज़ात उपलब्ध करवाया. भाजपा नेता और राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने ललित मोदी को अपना करीबी बताते हुए गवाह बनीं और प्रमाणपत्र सौंपा.

विजय माल्या : 9,000 करोड़ रूपये का बैंक गबन करने के बाद फरार

विजय माल्या को पहले भाजपा ने अपना वोट दिलवाकर राज्यसभा का सदस्य बनाया. माल्या को 16 अक्टूबर 2015 को लुकआउट नोटिस दिया गया था इसके बावजूद 1 मार्च 2016 को उसे आसानी से देश छोड़कर भागने दिया गया. सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि माल्या को भेजा गया नोटिस जानबूझ कर बाद में कमज़ोर किया गया और उसे विदेश भागने से रोकने के बजाए उसकी मदद की गई.

नोट बंदी का घोटाला, ‘जमा रकम’ और अमित शाह

नोटबंदी की घोषणा के 5 दिन बाद, ज़िला सहकारिता बैंकों द्वारा प्रतिबंधित नोटों को लेने पर रोक लगा दी गई, ताकि ‘मनी लांड्रिंग’ रोका जा सके. लेकिन इन पांच दिनों में वैसे सहकारिता बैंक ‘नोटबदली’ के चोर दरवाज़े बने जिसके डायरेक्टर अमित शाह जैसे भाजपा के नेता थे.

अहमदाबाद का ज़िला सहकारिता बैंक, जिसके डायरेक्टर अमित शाह थे, ने 5 दिनों में सबसे अधिक कुल 745.59 करोड़ रुपये के प्रतिबंधित नोट बदले. ये चौकाने वाला तथ्य मुंबई के एक आरटीआई कार्यकर्ता मनोरंजन एस. राव के आरटीआई से सामने आया.

दूसरी सबसे बड़ी रकम (693 करोड़) राजकोट ज़िला सहकारिता बैंक में जमा हुआ जिसके चैयरमैन गुजरात भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री जयेशभाई हैं.

अडानी थर्मल पावर प्रोजेक्ट घोटाला

सरकारी दस्तावेज़ बताते हैं कि झारखंड में बीजेपी सरकार ने 2016 में अपनी ऊर्जा नीतियों में संशोधन किया ताकि झारखंड के गोड्डा में अडानी थर्मल पावर प्रोजेक्ट को कोयले से बिजली उत्पादन में दूसरे थर्मल पावर स्टेशन की तुलना में अधिक दाम पर बिजली बेचने का अधिकार मिल सके. ये पूरे देश को पता है कि अडानी जी प्रधानमंत्री मोदी के सबसे घनिष्ट दानदाता हैं. इतना ही नहीं, झारखंड की सरकार वहां के आदिवासियों की ज़मीन को अडानी प्रोजेक्ट को सौंपने के लिए CNT और SPT क़ानून को संशोधित करने पर आमादा है.

फ़सल बीमा योजना घोटाला: (PMFBY)

मोदी सरकार द्वारा किसानों से छलने और लूटने की एक रणनीति का ही नाम है – प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना! किसानों के जीवन में बड़े बदलाव की घोषणा के साथ इस योजना का फ़ायदा किसानों के बजाय बीमा कंपनियों को हुआ. पिछले दो वर्षों में कंपनियों के पास जमा बीमा रकम में 47,408 करोड़ रुपये प्राप्त हुए जबकि उन्हें किसानों को सिर्फ़ 31,613 करोड़ रुपये देने पड़े.