शिवराज सरकार कहें या घोटाले की सरकार?

मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार जो अपने कार्यकाल को सफल सरकार बताती है।जिस प्रदेश में इतने सालों में कुपोषण/ अतिकुपोषण से 12 लाख बच्चों की अकाल मौतें हुई हो, हजारों किसानों ने आत्महत्याऐं की हों वहां की सरकार खुद को सफल कैसे कह सकती है। भाजपा को प्रायश्चित करना चाहिए।

व्यापमं, सिंहस्थ, कुशाभाऊ ठाकरे मेमोरियल ट्रस्ट के नाम पर अरबों रूपयों का जमीन घोटाला, जवाहर लाल नेहरू अर्बन मिशन घोटाला, प्याज खरीदी, अवैध रेत उत्खनन, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, शौचालय निर्माण, विज्ञापन, इंदिरा आवास, मनरेगा, बिजली खरीदी, बुंदेलखंड पैकेज, बाध निर्माण, पेंशन, सुगनीदेवी भूमि घोटाला, डम्पर, पशु आहार, सहकारी बैंकों में भर्ती, फसल बीमा और अब भांवातर योजना के नाम पर घपले /घोटाले/ भ्रष्टाचार का चरित्र सामने आया है।

“प्याज खरीदी में 1,100 करोड़ रुपये, दाल खरीदी में 250 करोड़ रुपये, डीजल में 200 करोड़ रुपये, रेरा में 180 करोड़ रुपये, पौधारोपण में 700 करोड़ रुपये, आरटी भुगतान में 80 करोड़ रुपये, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय में 10 करोड़ (सिर्फ भोपाल में), मनरेगा की फर्जी जॉब कार्ड में 100 करोड़ रुपये, स्मार्टफोन खरीदी में 80 करोड़ रुपये, गुना के मुक्तिधाम निर्माण कार्य में 15 करोड़ रुपये, भोपाल और इंदौर में झूलाघर में 16 करोड़ रुपये और खिलचीपुर नगर पालिका में 61 लाख रुपये का घोटाला वर्ष 2017 में हुआ.”

ये आकड़े साफ तौर पर ये स्पष्ट करते हैं की शिवराज सरकार को घोटाले की सरकार कहना गलत नहीं होगा। ऐसी सरकार जो जनता से ज्यादा खुद का विकास चाहती हो उसे क्या कहेंगे।