नई दिल्ली : 20 जुलाई से राज्यसभा का मानसून सत्र शुरू हो रहा है। इसके पहले मोदी सरकार की ओर से सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है, जिसमें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है। सत्र को किस तरह से सुचारू रूप से चलाया जाए, यह इस बैठक का अहम मुद्दा होने वाला है।
सत्र शुरू होने से पहले सर्वदलीय बैठक की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। इसमें सरकार के वरिष्ठ मंत्री इकट्ठा होते हैं और अलग-अलग मुद्दों पर अपनी राय रखते हैं। विभिन्न दलों की इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कौन सा लेते हुए भी देखा गया है।
पूरी नहीं हुई जगदीप धनखड़ की बैठक
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को एक बैठक बुलाई थी। लेकिन कई दलों के नेताओं की गैर मौजूदगी के चलते इसे टालना पड़ा। ऐसा इसीलिए हुआ क्योंकि बीते दिन विपक्षी दल बेंगुलूरु में महाबैठक में व्यस्त थे और एनडीए भी इसी तरह की बैठक दिल्ली में कर रहा था।
सर्वदलीय बैठक से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कुछ वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की है। जिसमें संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी, पीयूष गोयल समेत कुछ नेता शामिल हुए। इस दौरान सर्वदलीय बैठक में रखे जाने वाले कुछ मुद्दों की चर्चा हुई है।
हंगामेदार सत्र होने की आशंका
इस साल के आखिर में और अगले साल की शुरुआत में कई राज्यों में विधानसभा और लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। जिसे देखते हुए लग रहा है कि मानसून सत्र में बीजेपी तथा अन्य पार्टियां एक दूसरे पर कई आरोप प्रत्यारोप लगा सकती है। इसी के साथ केंद्र सरकार का दिल्ली पर अधिकार वाला बिल भी हंगामे की स्थिति पैदा कर सकता है। केंद्र सरकार के इस बिल का दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने देश की विभिन्न पार्टियों से विरोध करने को कहा है। जिस पर कई पार्टियों ने अपना समर्थन भी जताया है, जिनमें से कांग्रेस एक है।
महंगाई, बेरोजगारी, केंद्रीय जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल जैसे मुद्दे भी संसद सत्र के दौरान उठाए जा सकते हैं, जो नेताओं में मतभेद पैदा कर हंगामे की स्थिति बनाएंगे। संसद के पिछले सत्र में भी अधिकतर समय हंगामे की स्थिति नजर आई थी।