नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ‘खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, समतामूलक स्वास्थ्य समाधान सहित तात्कालिक महत्व के उन विषयों पर समूह के सदस्य देशों का समर्थन जुटायेगा जिसका सामना कोविड के बाद दुनिया को करना पड़ रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि वर्तमान समय की बड़ी चुनौतियों का समाधान ‘एक दूसरे से लड़ाई’ करके नहीं बल्कि मिलकर काम करके ही निकाला जा सकता है। ऐसे में जी-20 समूह में भारत का एजेंडा ‘समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्योन्मुखी और निर्णायक’ होगा।
उन्होंने कहा कि जी-20 की अध्यक्षता हमें दुनिया के समक्ष अपनी कहानी को पेश करने और ग्लोबल साऊथ क्षेत्र की आवाज को प्रस्तुत करने का मौका प्रदान करती है जो अब तक उपेक्षित रही है। उन्होंने कहा कि एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका के ऐसे देश अपनी आवाज उठाने के लिये भारत पर भरोसा करते हैं और ईंधन, खाद्य सुरक्षा जैसे मुद्दों पर हमने उनकी बात उठायी भी है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘जी-20 एक प्रमुख संस्था है जो वित्तीय, आर्थिक एवं विकास से जुड़े उन मुद्दों से निपटने पर विचार करती है जिसका सामना दुनिया कर रही है। इस कठिन परिस्थिति में दुनिया के नेताओं को सही मुद्दों पर ध्यान केंद्रीत करना चाहिए। ’
विदेश मंत्री ने कहा कि जलवायु कार्यवाही और जलवायु न्याय को लेकर हमारी प्रतिबद्धता मजबूत है। उन्होंने कहा कि भारत जी-20 समूह की अध्यक्षता ऐसे समय में ग्रहण कर रहा है जब कोविड के कारण विकासशील देशों को आर्थिक एवं सामाजिक तबाही का सामना करना पड़ा है और टिकाऊ विकास लक्ष्य (एसडीजी) कमतर हुए हैं तथा विकसित एवं विकासशील देशों के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र में खाई उत्पन्न हो गई है।
भारत होगा दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
बता दें कि भारत ने एक दिसंबर को जी-20 समूह की औपचारिक अध्यक्षता ग्रहण की। ‘जी-20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट : इग्नाइटिंग यंग माइंड’ विषय पर अपने संबोधन में विदेश मंत्री ने कहा, ‘भारत का काम केवल बात कहने तक ही सीमित नहीं होगा बल्कि सामूहिक कार्रवाई पर जोर दिया जायेगा।’ उन्होंने कहा, ‘दशक के अंत तक हम सबसे अधिक आबादी वाले देश होंगे, हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के वर्चस्व वाली दुनिया में 2030 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए हमारे मानव संसाधन महत्वपूर्ण होंगे।’