रायपुर: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बंपर जीत हुई है। कांग्रेस की जीत के साथ ही राज्य में हर 5 साल में सत्ता बदलने की रीत कायम है। कर्नाटक के बाद मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है। मध्यप्रदेश में बीजेपी की सत्ता है। कर्नाटक के चुनाव परिणामों से छत्तीसगढ़ कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है। बीजेपी के लिए छत्तीसगढ़ सबसे ज्यादा चुनौती वाला राज्य है। कर्नाटक चुनावों का असर छत्तीसगढ़ के विधानसभा में भी देखने को मिल सकता है।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को केंद्र में रखा। इसके साथ-साथ राष्ट्रीय मुद्दों पर फोकस किया। वहीं, कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ा। छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्थानीय मुद्दों पर फोकस कर रहे हैं। सीएम भूपेश बघेल योजनाओं को जमीनी स्तर पर पहुंचाने के लिए लगातार अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं तो क्षेत्र का दौरा भी कर रहे हैं।
सत्ता परिवर्तन की रिवाज छत्तीसगढ़ में नहीं
छत्तीसगढ़ में हर 5 साल में सत्ता बदलने की रीति अभी नहीं है। 2003 से 2018 तक बीजेपी लगातार सत्ता में रही। 2018 के विधानसभा चुनावों ने कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों पर फोकस किया और सत्ता में वापसी की। धान का समर्थन मूल्य कांग्रेस के लिए मास्टर स्ट्रोक था। किसान कर्ज माफी की घोषणा सरकार बनाने के लिए बूस्टर डोज साबित हुई। इस बार के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने फिर से स्थानीय मुद्दों पर फोकस शुरू कर दिया है। छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों का दौरा करने के लिए सीएम भूपेश बघेल भेंट मुलाकात कार्यक्रम कर रहे हैं। कर्नाटक चुनाव के मुद्दे इस बात की ओर इशारा करते हैं कि अगर आपका काम जमीनी स्तर पर दिखाई देता है तो सत्ता में वापसी हो सकती है।
योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए समीक्षा
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भूपेश बघेल लगातार स्थानीय मुद्दों पर फोकस कर रहे हैं। जैसे गोधन न्याय योजना, छत्तीसगढ़ महतारी की अस्मिता। ये वो मुद्दे हैं जो सरकार औऱ जनता को सीधे कनेक्ट कर रहे हैं। सीएम प्रशासनिक कसावट के साथ-साथ सरकारी योजनाओं से आमजन को लाभ दिलाने के लिए लगातार समीक्षा करते हैं। बड़ी बात ये है कि सीएम खुद इन योजनाओं की जमीनी हकीकत देखने के लिए जमीन में उतरते हैं।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर फोकस
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का फोकस ग्रामीण अर्थव्यवस्था है। इसके लिए गोधन न्याय योजना की शुरूआत की गई है। कई वनोपज के समर्थन मूल्य में वृद्धि भी की गई है। मिलेट्स प्रोडेक्ट को बढ़ावा देने के लिए मिलेट्स कैफे भी खोल गए हैं। 58 फीसदी तक आरक्षण पर लगी रोक सुर्रीम कोर्ट से हटने के बाद राज्य में भर्ती भी शुरू हुई हैं। वहां बेरोजगारी भत्ता की घोषणा के बाद सीएम युवा वर्ग भी साधने की कोशिश में हैं।
साल 2000 में हुआ था छत्तीसगढ़ का गठन
छत्तीसगढ़ का गठन साल 2000 में हुआ था। राज्य के पहले सीएम अजीत जोगी थे। 2003 के में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए थे। इन विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी ने स्थानीय मुद्दों को उठाया था। जिसके बाद राज्य में बीजेपी की सरकार बनी।
क्यों टक्कर नहीं दे पा रही है बीजेपी?
कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव लोकल मुद्दों पर लड़ा। कांग्रेस ने किसी भी विवादित मुद्दे से परहेज किया। छत्तीसगढ़ में लगातार घोटाले की खबरें सामने आ रही हैं। राज्य में ईडी कार्रवाई कर रही है। पहले कोल लेवी घोटाला और अब शराब घोटाले के बाद सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठे हैं। हालांकि इसके बाद भी बीजेपी पिछड़ रही है। छत्तीसगढ़ में बीजेपी के सामने सबसे बड़ी मुश्किल है किस स्थानीय नेता के चेहरे पर चुनाव लड़ा जाए। रमन सिंह बीजेपी के सबसे बड़े नेता हैं लेकिन वो 15 साल सीएम रह चुके हैं। भूपेश बघेल की तरह बीजेपी के पास कोई चेहरा नहीं जो पूरे राज्य में एक्टिव हो।