तीन दिनों से चल रहे कांग्रेस के चिंतन शिविर का समापन हो चुका है। इस चिंतन शिविर में कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने देश के सामने मौजूदा सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक चुनौतियां, बढ़ती सांप्रदायिकता और कांग्रेस पार्टी के भविष्य को लेकर चिंतन किया।
समापन भाषण में सोनिया गांधी ने महात्मा गांधी जयंती से देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत जोड़ो यात्रा की घोषणा की। साथ ही युवा, बूढ़े और सभी कांग्रेसजनों से शामिल होने की अपील भी की। इस चिंतन शिविर में 6 समितियों राजनीतिक, आर्थिक, संगठन, युवा सशक्तिकरण, किसान एवं कृषि समिति का गठन किया गय। इन समितियों में विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई और उनके निष्कर्षों को लागू करने के लिए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में प्रस्ताव पारित हुआ।
पूरे देश में कांग्रेस पार्टी के सामने उसके कमजोर होते संगठन और समाज के विभिन्न वर्गों में लोकप्रियता का कम होना एक बड़ा संकट है। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद केवल मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस ने किसी राज्य में अपनी सरकार नहीं बनाई है। बल्कि अनेक राज्यों में सरकारें गवाई हैं। लोकसभा चुनावों में भी उसका प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। अब 2024 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ा अवसर भी है और एक चुनौती भी है।
सोनिया गांधी ने संगठन और संगठन की कार्यशैली में बदलाव के लिए कई निर्णय लिए हैं। कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने अगले 2-3 दिन में एक टास्क फोर्स के गठन की घोषणा की है, ताकि संगठन संरचना, पार्टी पदाधिकारियों की नियुक्ति के नियम, संवाद, प्रचार, जन संपर्क, वित्त और चुनाव प्रबंधन में सुधार के लिए मार्गदर्शन प्रदान कर सके।
कांग्रेस पार्टी अपने संगठन में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने और संगठन को युवा रूप देने के लिए कांग्रेस संगठन के 50% पदों पर 50 वर्ष से कम उम्र के युवाओं की नियुक्ति करेगी। साथ ही लोकसभा चुनाव 2024 के बाद से सभी स्तरों के चुनावों में 50% टिकट भी युवाओं को दिए जाएंगे।
कांग्रेस पार्टी ने संगठन में सुधार के लिए निर्णय लिया है कि संगठन में एक व्यक्ति को केवल एक ही पद दिया जाएगा। अभी कई महासचिवों को अनेक राज्यों का प्रभारी बनाया हुआ है लेकिन इस निर्णय से पार्टी के अन्य सदस्यों को मौका मिलेगा।
सभी पदाधिकारियों के कार्यालय की समय सीमा भी सुनिश्चित कर दी गई हैं। अभी कई नेता ब्लॉक स्तर से राष्ट्रीय स्तर पर वर्षों से जमे रहते हैं, इसको देखते हुए सभी पदाधिकारियों के कार्यकाल की अधिकतम सीमा 5 वर्ष कर दी गई है। संगठन में खाली पड़े पदों को आगामी 90-120 दिनों में भरा जाएगा। पार्टी पदाधिकारियों के प्रदर्शन की निगरानी और मूल्यांकन तथा जवाबदेही तय करने के लिए प्रणाली विकसित की जाएगी।
कांग्रेस पार्टी ने कई राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव और वर्ष 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव प्रबंधन के लिए एक नए विभाग का गठन करने की घोषणा की है। अन्य विभागों जैसे चुनाव प्रशिक्षण, अंतर्दृष्टि और एकीकृत संवाद विभाग के गठन की घोषणा की गई है।
राजनीति में परिवारवाद एक बड़ा मुद्दा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अनेक अवसरों पर कांग्रेस में परिवादवाद का आरोप लगाती है, हालांकि परिवारवाद एक दल कांग्रेस तक ही सीमित नहीं हैं, ये सभी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दलों में व्याप्त एक समस्या है जो लोकतंत्र और लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करती है।
कांग्रेस ने घोषणा की है कि आगामी चुनावों में एक परिवार से एक व्यक्ति को ही टिकट दिया जाएगा हालांकि इसमें अपवाद जोड़ा गया कि दूसरे टिकट के लिए न्यूनतम 5 वर्ष का संगठनात्मक कार्य का अनुभव आवश्यक होगा।
अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/ओबीसी/अल्पसंख्यक/महिला मुद्दों पर कांग्रेस अध्यक्ष को सहायता और सलाह देने के लिए सामाजिक न्याय सलाहकार परिषद का गठन किया जाएगा तथा अनुसूचित/जाति, अनुसूचित/जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों और महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए सीडब्ल्यूसी, पीसीसी, डीसीसी की हर छह महीने में बैठक होगी।
समाज के कमजोर वर्ग को राजनीति की मुख्यधारा में पाने और संगठन में उनमें नेतृत्व के विकास के लिए मिशन चलाया जाएगा। जी 23 गुट के कांग्रेस नेताओं की मांग थी कि समय-समय पर कांग्रेस कार्यसमिति की विभिन्न राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर बैठक नहीं होती है, इसको लेकर भी बड़ा बदलाव सामने आया है।
कांग्रेस पार्टी ने व्यापक संगठनात्मक सुधार का एलान किया है। जिसमें प्रत्येक वर्ष अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी और प्रदेश कांग्रेस कमेटियों की बैठक होगी, कार्यक्रमों के क्रियान्वयन और जरूरी सलाह के लिए कांग्रेस कार्यसमिति में एक उपसमूह का गठन किया जाएगा।
अब देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस पार्टी अपने संगठन में इन प्रस्तावों को कितने प्रभावशाली ढंग से लागू करती है। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में अभी 2 वर्ष का समय शेष है, लेकिन कई राज्यों के विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होंगे क्योंकि इन राज्यों में गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान जैसे बड़े राज्य शामिल हैं।