नई दिल्ली। राजस्थान में अशोक गहलोत और उनके खेमे के विधायकों की बगावत का असर कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में भी दिख सकता है। पार्टी आलाकमान के लिए राजस्थान का यह ताजा सियासी घटनाक्रम जरूर चौंकाने वाला रहा होगा। इसक असर अब सीधे राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में भी दिख सकता है। आज सुबह खबर आई कि संगठन चुनाव के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री की तबीयत बिगड़ गई है। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। जानकारी के मुताबिक, अब उम्मीदवार शुक्रवार को ही अपना नमांकन दाखिल कर पाएंगे। आपको बता दें कि अशोक गहलोत भी 28 नवंबर को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करने वाले थे।
सूत्रों का कहना है कि राजस्थान के ताजा सियासी हालातों पर कांग्रेस आलाकमान ने नाराजगी जाहिर की है। इस पूरे प्रकरण पर जल्द ही अशोक गहलोत से स्पष्टीकरण मांगा जा सकता है। आज अजय माकन ने तो गहलोत कैबिनेट के मंत्री घारीवाल के घर बुलाई गई विधायकों की बैठक को अनुशासनहीनता करार दिया है। माकन ने यह भी कहा है कि कांग्रेस पार्टी में अपनी शर्तें मनवाने की प्रथा नहीं रही है।
अजय माकन, मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल के बयानों से इतना तो साफ झलक रहा है कि राजस्थान के ताजा हालातों को लेकर आलाकमान अशोक गहलोत को ही जिम्मेदार मानता है। ऐसे में अध्यक्ष चुनाव में समीकरण बदलने की संभावना प्रबल हो चुकी है। इस बात की भी संभावना है कि पार्टी के बड़े नेता राहुल गांधी को अध्यक्ष चुनाव के लिए मनाने की एक और कोशिश जरूर करेंगे।
अशोक गहलोत को गांधी-नेहरू परिवार का वफादार माना जाता है। यह बात केरल के कांग्रेस सांसद ने भी कही है, जहां से शशि थरूर आते हैं। उनका यह भी कहना है कि राहुल गांधी ही पार्टी का नेतृत्व करेंगे, भले ही अध्यक्ष पद पर कोई भी आ जाए। ऐसे में एक बात तो साफ है कि गहलोत के तेवर को देखने के बाद सोनिया और राहुल गांधी शायद ही किसी नेता पर भरोसा कर पाएंगे। ऐसे में इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि कई राज्यों के द्वारा पारित किए गए प्रस्तावों को ध्यान में रखते हुए राहुल खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़ने या फिर बनने पर फिर से विचार करें।
राहुल गांधी अगर चुनाव लड़ते हैं तो इस बात की संभावना भी काफी अधिक है कि शशि थरूर भी चुनाव लड़ने के अपने फैसले पर फिर से विचार कर सकते हैं। इस पूरे घटनाक्रम में सबसे अधिक नुकसान अशोक गहलोत को उठाना पड़ सकता है।