झीलों की नगरी उदयपुर में कांग्रेस की तीन दिवसीय “नवसंकल्प” चिंतन शिविर की शुरुआत आज से हो रही है। चिंतन शिविर में देश में बढ़ते सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, किसानों की समस्या, आगामी विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर संगठनात्मक संरचना में बदलाव जैसे प्रमुख मुद्दों पर चिंतन होगा। इस चिंतन शिविर में कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, कांग्रेस कार्यसमिति के सभी सदस्यों के साथ पूरे देश के 430 कांग्रेसजन सम्मिलित होंगे।
सोनिया गांधी ने कांग्रेस कार्यसमिति की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि शिविर में सभी “वैचारिक, चुनावी और प्रबंधकीय चुनौतियों का सामना कर रही पार्टी के लिए एक पुनर्गठित संगठन की शुरुआत करने के वास्ते अपने विचार रखें। कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने 6 अलग अलग समितियों का गठन किया था। उन समितियों के अध्यक्ष, सदस्य नामित किए थे।
इस चिंतन शिविर में एक परिवार एक टिकट, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, राजनीति, सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण, अर्थव्यवस्था, संगठन, किसान एवं कृषि तथा युवाओं से जुड़े विषयों पर चिंतन के बाद एक विस्तृत रिपोर्ट कांग्रेस कार्यसमिति के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी, जिससे कांग्रेस का भविष्य तय होगा।
पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “आज जब देश प्रजातांत्रिक, आर्थिक और सामाजिक संक्रमणकाल के दौर से गुजर रहा है, तब कांग्रेस एक बार फिर देश को प्रगति, समृद्धि और उन्नति के पथ पर लाने के लिए एक ‘नव संकल्प’ की दृढ़ प्रतिज्ञा ले रही है।” राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा, “कांग्रेस देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी है और लोगों को इससे उम्मीदें हैं। ऐसे में यह शिविर देश के लिए है। इसके जरिए पार्टी नया संदेश देगी।”
राहुल गांधी चेतक एक्सप्रेस से उदयपुर पहुंचे। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनका शानदार स्वागत किया।
राहुल गांधी 15 मई को शिविर को संबोधित करेंगे।
बता दें कि कांग्रेस में वर्ष 2013 में जयपुर मंथन शिविर हुआ था, इसके बाद 2022 यानी 9 वर्षों में चिंतन शिविर का आयोजन हो रहा हैं। इस शिविर में कांग्रेस अध्यक्ष पद में बदलाव को लेकर चर्चा शायद नहीं हो, क्योंकि इसके चुनाव की घोषणा पहले ही हो चुकी है और अगस्त तक संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के इतिहास की सबसे बुरी हार के बाद कांग्रेस अनेक राज्यों में अपनी सरकार गवाई हैं, 2014 में कांग्रेस के लोकसभा में 44 सांसद चुन कर आए थे। वहीं 2019 लोकसभा चुनाव में सांसदों की संख्या बढ़कर 52 ही हो पाई। स्वयं राहुल गांधी तक अमेठी से चुनाव हार गए।