देश का सबसे बड़ा घंटा, मंदसौर के पशुपतिनाथ धाम में हुआ स्थापित

मध्यप्रदेश : मंदसौर के पशुपतिनाथ मंदिर में निर्माणाधीन सहस्त्र शिवलिंग मंदिर के पास 3700 किलो का महा घंटा स्थापित किया गया है, जो कि देश और दुनिया का सबसे भारी घंटा है। 10 कारीगरों की टीम ने 6 महीने दिन रात काम कर इस घंटे का निर्माण किया है। महा घंटे को बनाने में 36 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। घंटे की एक और खासियत यह है कि इसमें बाहर भगवान पशुपतिनाथ की आकृतियां उकेरी गई हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहस्त्र शिवलिंग मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान दुनिया के सबसे बड़े घंटे का उद्घाटन भी करेंगे। बता दें मध्य प्रदेश के रतनगढ़ देवी मंदिर में 1635 किलो का घंटा स्थापित है। 


श्रीकृष्ण कामधेनु के अध्यक्ष दिनेश नागर के अनुसार जब वे मंदिर में दर्शन करने पहुंचे थे, तो उन्हें मंदिर में कोई घंटी नहीं दिखाई दी, जिसके बाद समिति ने मंदिर में विशाल घंटा स्थापित करने की योजना बनाई। घंटे के निर्माण के लिए 2017 में अभियान चलाया गया। समिति ने शुरुआत में मंदिर में 21 क्विंटल वजनी घंटे को स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसे पूरा करने के लिए संस्था के सदस्यों ने हर रविवार जिले में यात्रा निकाली। सदस्यों ने 150 से ज्यादा यात्राओं के माध्यम से मंदसौर शहर और ग्रामीण इलाकों से तांबा-पीतल जमा किया। भक्तों ने घंटा निर्माण में सहयोग देने के लिए बढ़ चढ़ कर भाग लिया और पुराने बर्तन महा घंटा निर्माण के लिए दान में किए। भक्तों ने धातु दान के साथ ही नगद राशि भी सहयोग के रूप में प्रदान की गई थी। 

समिति ने महा घंटे को बनवाने के लिए गुजरात के अहमदाबाद की एक कंपनी से संपर्क किया और इसके निर्माण का ठेका दिया। घंटा बनाने के लिए 10 लोगों की एक टीम ने 6 महीने तक दिन-रात काम कर विशाल घंटे का निर्माण किया। महा घंटे के निर्माण के बाद प्राकृतिक ठंडक में ढालने के लिए इसे डेढ़ महीने तक जमीन में दबाकर रखा गया। घंटे के निर्माण में करीब 36 लाख रुपये की लागत आई है। भक्तों से दान में करीब 25 क्विंटल तांबा-पीतल मिला था। धातु के अलावा 15 लाख रुपये और लागत लगी। महा घंटे के लिए समिति ने करीब साढ़े 3 लाख रुपये GST चुकाई है। गुजरात से मध्य प्रदेश तक महा घंटे को एक स्पेशल ट्रॉली में रखकर लाया गया।

37 क्विंटल वजनी इस घंटे को स्थापित करना चुनौतीपूर्ण था। इसे मंदसौर के ही नाहरु भाई ने स्थापित किया है। नाहरु भाई ने बताया कि महा घंटे को स्थापित करने के लिए फाउंडेशन तैयार किया गया। फिर हैवी पाइप से एक ऐसा स्ट्रक्चर तैयार किया गया जो कि 36 क्विंटल का वजन सह सके। 15 दिनों की मेहनत से महा घंटे को स्थापित किया गया। कलेक्टर ने भी घंटे के स्थापित होने पर हैरानी जताई। लोहे के स्ट्रक्चर पर लटके महा घंटे को श्रद्धालु आसानी से बजा सकते हैं। 

पशुपतिनाथ मंदिर परिसर के पास ही बन रहे सहस्त्र शिवलिंग मंदिर में शिवलिंग प्रतिमा स्थापित करने के दौरान इंजीनियर्स ने हार मान ली थी, तब शहर के ही निरक्षर मकबूल भाई ने बर्फ के टुकड़ों के साथ प्रतिमा को आसानी से स्थापित किया था। महा घंटा स्थापित करने को लेकर भी इंजीनियर और प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए थे तब नाहरु भाई सामने आए और घंटे को स्थापित किया।