‘रामचरितमानस’ पर बिहार के शिक्षा मंत्री के बयान की आलोचना, नरोत्तम मिश्रा ने कहा ‘समाज तोड़ने का काम’

भोपाल : बिहार के शिक्षा मंत्री द्वारा रामचरितमानस को लेकर की गई विवादित टिप्पणी की गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने आलोचना की है। उन्होने कहा कि ‘शिक्षा जोड़ने का काम करती है। लेकिन बिहार में अफरा-तफरी का माहौल है इस बार। पहली बार देखा गया है कि शिक्षा मंत्री ही तोड़ने का काम कर रहे हैं। धार्मिक ग्रंथ की, धार्मिक चौपाई की गलत व्याख्या कर रहे हैं जोकि ठीक नहीं है और ये बिहार की स्थिति का भी वर्णन भी कर रही है। ये शिक्षा मंत्री जब शिक्षकों की भर्तियों पर लाठियां चली तब नहीं बोले थे, मंदिर तोड़ दिया पर इनके मुंह से एक शब्द नहीं निकला। जहरीली शराब से इतनी मौतें हो गई लेकिन एक शब्द नहीं निकला और समाज तोड़ने की बात आई तो ये खड़े हो गए। मैं इसे किसी भी तरह से अच्छा नहीं मानता हूं।’ बता दें कि बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने ‘रामचरितमानस’ को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया था और इसके बाद से इस बयान ने तूल पकड़ लिया है।

वहीं दिल्ली में सरकारी विज्ञापन के मामले में केजरीवाल को नोटिस मिलने पर गृहमंत्री ने कहा कि ‘केजरीवाज जी काम तो कुछ नहीं कर रहे हैं विज्ञापनों के अलावा और इसीलिए आप उनका जब भी भाषण सुने तब यही सुनाई देता है कि हमने शिक्षा को मुक्त कर दिया, हमने स्कूलों को ऐसा कर दिया वगैरह। शिक्षा तो मध्य प्रदेश में भी मुफ्त है। हमारे यहां तो साइकिल भी मुफ्त है, मुफ्त खाद्यान्न लेकिन वह महिमामंडित करने के लिए उसी को प्रचारित करते हैं।’ वहीं सागर जिले में बीजेपी नेता के भाई के खिलाफ अपहरण और के मामले पर उन्होने कहा कि उनके चंद्रहास सिंह बीजेपी के किसी पद पर नहीं है और प्रथम दृष्टया किसी तरह के अपहरण की वारदात नजर नहीं आ रही है।

करणी सेना के प्रदर्शन खत्म होने पर नरोत्तम मिश्राने कहा कि मैंने कल भी कहा था वह हमारे स्वजन हैं। वो तो रूठे भी नहीं थे, किसी कारण से कोई भ्रम हो गया था जिसे दूर कर लिया गया है। जल और कुल को मिलने में कितनी देर लगती है। अजब सिंह कुशवाह मामले पर उन्होने कहा कि कमलनाथ जी जो भी ज्ञान दे रहे हैं वह तथ्यों के अभाव में  दे रहे हैं। उनकी सरकार 15 महीने रही थी, अगर कोई झूठा केस था तो वह वापस क्यों नहीं कराया गया। केस आपके नेता पर था, आप के विधायक पर था। उन्हें विषयांतर नहीं करना चाहिए था बल्कि अगर आपको झूठा मामला लग रहा था तो उनकी मदद करनी चाहिए थी। सीडी और पेनड्राइव पर मचे बवाल पर गृह मंत्री ने कहा कि अगर आपके पास ऐसी कोई वस्तु थी तो आप संवैधानिक पद पर थे, उनको तत्काल एसआईटी को देना था, मीडिया के सामने लाना था न्यायालय को देना था। उन्होने इस मामले में कमलनाथ पर आरोप जड़ते हुए कहा कि वे हर बार अपने बयान से पलट जाते हैं और इस बार भी उन्होने वही किया है।

Leave a Reply