ग्वालियर : ग्वालियर जिले के डबरा में स्थित सेंट पीटर स्कूल में व्यापक अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। राज्य महिला आयोग के दो सदस्यों के द्वारा किए गए निरीक्षण के दौरान सेंट पीटर स्कूल बिना मान्यता के चलना हुआ पाया गया है। इसके साथ ही इस विद्यालय का भवन भी एक पहाड़ को काटकर बिना किसी अनुमति के कर लिया गया है। बाल आयोग को इस स्कूल में धर्मांतरण के पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं।
सोमवार को राज्य महिला आयोग के दो सदस्यों निवेदिता शर्मा चतुर्वेदी और ओंकार सिंह ने डबरा में सेंट पीटर स्कूल का निरीक्षण किया। इस स्कूल में करीब 1300 विद्यार्थी पढ़ते हैं। स्कूल का दावा है कि उसके पास ICSC की मान्यता है और इसी आधार पर बच्चों को एडमिशन दिए जाते हैं। स्कूल का टर्नओवर तकरीबन 4 करोड रुपए सालाना बताया गया है। हालांकि जब बाल आयोग के सदस्यों ने स्कूल की मान्यता से संबंधित दस्तावेज मांगे तो कोई भी दस्तावेज पेश नहीं किया जा सका।
2017 में सेंट पीटर स्कूल की मान्यता समाप्त
बताया गया कि 1997 में स्थापित हुआ यह स्कूल 2007 तक एमपी बोर्ड के अधीन चलता रहा है और उसके बाद ICSC से मान्यता ली गई। ICSC किसी भी स्कूल को 10 साल की मान्यता देता है यानि 2017 में सेंट पीटर स्कूल की मान्यता समाप्त हो गई। लेकिन उसके बाद किसी भी तरह की मान्यता प्राप्ति का कोई दस्तावेज स्कूल प्रबंधन नहीं दिखा सका। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भी यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि वे लगातार स्कूल को मान्यता के संबंध में नोटिस दे रहे हैं लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा। इसके बाद बारी आई स्कूल में भवन निर्माण को लेकर। जिस स्थान पर यह स्कूल स्थित है वो सिमरिया टेकरी के नाम से जाना जाता है और वह मुरम की अच्छी खासी पहाड़ी मौजूद थी।
धर्म विशेष से संबंधित साहित्य बड़ी मात्रा में बरामद
पहाड़ी को अवैध रूप से काट लिया गया और कागजों में इसे समतल स्थान दिखाकर वहां पर बिना डायवर्शन के निर्माण भी कर लिया गया। स्कूल के नाम पर निर्माण किया गया लेकिन वहां पर स्टाफ भी रहता है।अब आखिरकार कैसे इस सरकारी जमीन पर निर्माण हो गया और पहाड़ी की जमीन दे दी गई, यह भी अपने आप में बड़ा सवाल है। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात तो तब सामने आई जब स्कूल के एक कमरे में एक धर्म विशेष से संबंधित साहित्य बड़ी मात्रा में बरामद हुआ। इसके साथ ही प्रत्येक कक्षा में एक धर्म विशेष की पढ़ाई जाने वाली प्रार्थना की किताब भी रखी मिली।
स्टाफ का पुलिस वेरिफिकेशन भी नहीं
यह भी पता चला कि जो विद्यार्थी इस स्कूल में आकर धर्म परिवर्तन कर लेते हैं, उनकी फीस माफ कर दी जाती है। स्कूल के रिहायशी इलाके में दो नन मिली जो आमतौर पर चर्च में रहती हैं। इसके साथ ही वहां पर चर्च भी मिला। स्कूल के प्राचार्य एक बलात्कार के मामले में आरोपी थे। हालांकि उनका कहना है कि वह अब इस मामले में बरी हो चुके हैं। लेकिन इससे संबंधित कागजात वो नहीं दिखा सके। इतना ही नहीं, स्कूल के किसी भी स्टाफ का पुलिस वेरिफिकेशन भी नहीं पाया गया।
डबरा के एसडीएम ने इस स्कूल को कर दिया सील
फिलहाल बाल आयोग के सदस्यों के कड़े रुख के चलते डबरा के एसडीएम ने इस स्कूल को सील कर दिया है लेकिन अब सवाल यह है कि आखिरकार वर्षों से इस तरह की अनियमितता और धर्मांतरण का मामला अगर चल रहा था तो प्रशासन क्या कुंभकरण की नींद में सोया हुआ था और सवाल यह भी है कि शिक्षा विभाग के साथ-साथ ग्वालियर जिले का प्रशासन भी इस घटना के लिए कितना जिम्मेदार है, इसकी जवाबदेही कौन तय करेगा।