भोपाल : राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने सीएम डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होने जुलाई-अगस्त में चल रहे ‘राजस्व महाभियान 2.0’ को सितंबर-नवंबर माह में चलाने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि बरसात में खरीफ की फसलों के कारण जमीन का भौतिक सत्यापन नही हो पा रहा है। किसानों और पटवारियों को वर्षा काल के कारण आ रही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और इसी कारण शासन की मंशा अच्छी होने के बाद भी ये अभियान व्यवहारिक नहीं है।
बता दें कि प्रदेश में राजस्व प्रकरणों का समाधान करने राजस्व महाअभियान 2.0 शुरू किया गया है। इसके अंतर्गत राजस्व से जुड़े कामों को व्यापक स्तर पर संपन्न किया जाएगा। इसमें भू-अभिलेखों का शुद्धीकरण, लंबित राजस्व मामलों का निपटाना और डिजिटल क्रॉप सर्वे, पीएम किसान योजना का लाभ, फॉर्मर आईडी आदि कार्य शामिल हैं।
दिग्विजय सिंह द्वारा मुख्यमंत्री को लिखा गया पत्र
अपने पत्र में दिग्विजय सिंह ने सीएम डॉ. मोहन यादव को लिखा है कि ‘प्रदेश में लंबित राजस्व मामलों के निराकरण के लिये आपके निर्देश पर ‘‘राजस्व महाभियान 2.0’’ चलाया जा रहा है। राजस्व विभाग का अमला विगत माहों में तेजी से प्रकरणों का निराकरण करने में जुटा है। इन दिनों किसानों और पटवारियों को वर्षा काल के कारण आ रही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बरसात में खरीफ की फसलों के कारण जमीन का भौतिक सत्यापन नही हो पा रहा है। मध्यप्रदेश किसान कल्याण संघ के अध्यक्ष श्री शिवराज सिंह मीणा एवं प्रतिनिधि मंडल के साथ आये किसानों ने बताया कि इन दिनों खेतो में सोयाबीन, धान, मूंगफली सहित खरीफ की अन्य फसलें खेतों में लगी है। नामांतरण, बंटवारा और सीमांकन के प्रकरणों में राजस्व निरीक्षक सहित पटवारियों को मौके पर जाकर स्थल पर सीमांकन करना पड़ रहा है। खड़ी फसलों को क्षति पहुँचाने से अधिकांश प्रकरणों में किसानों और राजस्व अमले में विवाद की स्थिति बन रही है।’
‘लंबित प्रकरणों का समय-सीमा में निराकरण करने के लिये राजस्व अमला बिना नक्शा तरमीन उठाये बटांकन का काम कर रहे है। बारिश के चलते पटवारी खेतों तक पहुँच कर सीमांकन नहीं कर रहे हैं। अभी अभियान अंतर्गत पूरे प्रदेश में 2 लाख 30 हजार से अधिक प्रकरण लंबित है। सबसे अधिक मामले भोपाल में अनिराकृत है। अब दस दिन का अभियान बचा है। अमला जल्दबाजी में गलतियां कर रहा है। बरसात की बाधाएं भी उनके सामने है। लंबित मामलों के लक्ष्य पूर्ति के लिये दबाव में आकर राजस्व अधिकारी प्रकरणों का निराकरण कर रहे है। स्थल का भौतिक सत्यापन न होने से भविष्य में किसानों की परेशानियाँ बढ़ जायेगी। भू-अभिलेख के नक्शे में लाल स्याही से रिकार्ड बिना स्थल पर अपडेट किया जा रहा है। बाद में किसान रिकार्ड ठीक कराने के लिये तहसील कार्यालय के चक्कर लगाने मजबूर होंगे।’
‘आपने अभियान 16 जुलाई से 30 अगस्त 2024 तक चलाये जाने का निर्णय लिया था। किसानों और भूमि स्वामियों का कहना है कि बरसात के बाद भी यदि जल्दबाजी में प्रकरणों का निपटारा किया जायेगा तो आने वाले समय में किसान रिकार्ड पुनः दुरूस्त कराने के लिये राजस्व अमले के सामने भटकते रहेंगे। शासन की मंशा अच्छी होने के बाद भी व्यवहारिक नही है। प्रदेश के लाखों किसान भविष्य में अभिलेख ठीक कराने मजबूर होंगे। मेरा आपसे प्रदेश के लाखों किसानों के हित में अनुरोध है कि राजस्व अभियान की समीक्षा कर किसान को भविष्य में आने वाली परेशानियों से बचा सकेंगे। बरसात के बाद जब कृषि भूमि खरीफ फसलों के आने से खाली हो जायेगी तब ‘‘सितम्बर से नवम्बर 2024’’ के बीच यह अभियान चलाया जाना चाहिये। उसी समय इसकी समय-सीमा तय कर बंटवारा और सीमांकन के प्रकरणों का निराकरण कराया जाना उचित होगा। इस अभियान में सभी राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों सहित पंचायत राज संस्थाओं के सदस्यों को शामिल कर सुझाव लिया जाना चाहिये। कृपया इस संबंध में किसानों के हित में निर्णय लेना चाहेंगे।’