दिग्विजय सिंह ने सीएम शिवराज को लिख पत्र, सागर जिले में निर्दोष लोगों पर प्रताड़ना के मामले में कार्रवाई की मांग…

भोपाल : पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। इसमें उन्होने कहा है कि सागर जिले के कई इलाकों में निर्दोष लोगों को झूठे केस में फंसाकर जेल भेजा जा रहा है। उन्होने बीजेपी नेताओं और स्थानीय प्रशासन अनुसूचित जाति-जनतजाति और पिछड़ा वर्ग के लोगों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की है। इसी के साथ खुरई ग्रामीण थाने में पदस्थ थाना प्रभारी, प्रधान आरक्षक, आरक्षक सहित समस्त जिम्मेदार पुलिस बल को यहां से हटाने की मांग भी की है।

दिग्विजय सिंह द्वारा लिखा गया पत्र

“प्रिय श्री शिवराज सिंह चौहान जी, सागर जिले के खुरई, रहली एवं सुरखी विधानसभा क्षेत्रों में बड़े स्तर पर निर्दोष लोगों को झूठे प्रकरणों में फंसाकर जेल पहुंचाया जा रहा है। राजनैतिक बदले की भावना से सत्ताधारी दल के नेताओं द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति और अतिपिछड़े वर्ग के लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है। इन तीनों विधानसभा क्षेत्रों में आपकी पार्टी के विधायक होकर मंत्री परिषद के वरिष्ठ मंत्री है।

ऐसे कई प्रकरणों की जानकारी पूर्व में भी मेरे द्वारा आपको प्रेषित की गई थी। इसी प्रकार का एक प्रकरण विधानसभा क्षेत्र खुरई के ग्राम नौनागिर बरोदिया का है। जहां चार वर्ष पूर्व अनुसूचित जाति की एक लड़की अंजना अहिरवार के साथ गांव के दबंग लोगों ने छेड़खानी की थी। इस मामले की शिकायत अंजना ने थाने में दर्ज कराई थी। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ राजनैतिक दबाव के चलते सख्त कार्यवाही नही की, परिणाम स्वरूप आरोपी अंजना के परिवार पर राजीनामा करने के लिये दबाव बनाते रहे।

अंजना सागर में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही है। अनुसूचित जाति विभाग में भी अंजना की शिकायत दर्ज है। इस प्रकरण में लचर पैरवी के कारण कोर्ट ने पहली ही सुनवाई में आरोपियों को जमानत दे दी। जमानत पर छूटने के बाद आरोपियों ने अंजना एवं उसके परिजनों पर प्रकरण वापस लेने के लिये दबाव बनाया। नितिन पर किये गये जानलेवा हमले के कुछ दिन पूर्व शिकायतकर्ता अंजना के दूसरे भाई विष्णु अहिरवार को भी मारा पीटा गया और उसे ‘‘जूते चाटने’’ के लिये मजबूर तक किया गया। जिसका वीडियो पत्र के साथ संलग्न है। आरोपियों ने दिनांक 24.08.2023 को दोपहर में अंजना के घर पहुँचकर उसकी मॉ पर प्रकरण में राजीनामा करने के लिये मजबूर करने का प्रयास किया। इसी दिन शाम को 7 बजे अंजना का भाई नितिन अहिरवार सब्जी लेने बाजार गया तो दबंग आरोपी लोगों ने पकड़कर उसे धमकाया और उसके साथ मारपीट की।

पुलिस ने अनुसूचित जाति के इस पीड़ित परिवार के ऊपर लगातार हो रही प्रताड़ना के मामले में कोई कार्यवाही नही की। इसके बाद आरोपियों ने जब नितिन अहिरवार पर जानलेवा हमला किया तो इस हमले की खबर उसकी मॉ को लगी। दो वर्ष से इलाज करा रही बीमार मॉ अपने बेटे को बचाने के लिये घटना स्थल पर पहुँची तो उसके साथ भी दुर्व्यवहार किया गया और उसकी साड़ी खींचकर र्निवस्त्र कर दिया गया। इस घटना का जब उसकी बहन अंजना वीडियों बनाने लगी तो हमलावरों ने उससे मोबाईल छीन लिया और पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी। अंजना ने भागकर अपने चाचा के यहा खुद को छुपाया और अपनी जान बचाई। घटनास्थल के आसपास लगे सी.सी.टी.वी. केमरों से भी घटना की सम्पूर्ण सत्यता पता की जा सकती है।मारपीट और जानलेवा हमले की इस घटना में नितिन अहिरवार की मृत्यु हो गई। पीड़ित परिवार जब हमलावरों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज कराने जब थाने गया, तो पुलिस ने एफ.आई.आर. में आरोपियों की वल्दियत नही लिखते हुए उन्हें बचाने का प्रयास किया। एफ.आई.आर. में अंकित ठाकुर का नाम नही लिखा गया। अभी तक कोमल और अंकित ठाकुर की गिरफ्तारी भी नही की गई है।

अनुसूचित जाति वर्ग के परिवार के सदस्य की हत्या के इस मामले में स्थानीय पुलिस और आरोपियों को संरक्षण देने वाले तत्वों द्वारा यह अफवाह फैलाई जा रही है कि नितिन आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति था और बाजार में तलवार लेकर घूम रहा था। मैं स्वतः पीड़ित परिवार से मिलने गया था, परिवार के खिलाफ फैलाई जा रही अफवाह पूर्णतः असत्य है। यह अनुसूचित वर्ग पर की गई प्रताड़ना का गंभीर प्रकरण है। हत्या करने वाले सामंतवादी प्रकृति के हमलावरों ने पीड़ित परिवार के घर में घुसकर तोड़फोड़ की है। जिसके फोटो में संलग्न कर रहा हूँ। इस घटना के दूसरे दिन जिले के कलेक्टर और एस.पी. पीड़ित परिवार से मिलने गये और उन्हें इस बात की सांत्वना दी कि आरोपियों के मकान तोड़े जाकर अतिक्रमण हटाया जायेगा। लेकिन आज दिनांक तक आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने कोई कार्यवाही नही की।

मेरी मांग है कि सागर जिले की खुरई ग्रामीण थाने में पदस्थ थाना प्रभारी, प्रधान आरक्षक, आरक्षक सहित समस्त जिम्मेदार पुलिस बल को यहां से हटाया जाये। साथ ही पुलिस मुख्यालय स्तर से अनुसूचित जाति वर्ग के पुलिस अधीक्षक स्तर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से मामले की जांच निष्पक्ष जांच कराई जाये। मैं चाहूँगा कि इस संवेदनशील मामले की पुलिस महानिदेशक की निगरानी में समय-सीमा तय करते हुए जांच पूर्ण कराई जावे। तब ही अनुसूचित जाति वर्ग के पीड़ित परिवार को शासन से न्याय की उम्मीद बंध सकेगी।”

Leave a Reply