लोकसभा चुनाव 2024 में सिंधिया के खिलाफ गुना से ताल ठोकेंगे दिग्विजय! राजा साहब तैयार, महाराज के जवाब का इंतजार…

सिवनीः दशकों से एक-दूसरे के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच पहली बार चुनावी मुकाबला हो सकता है। दिग्विजय 2024 के लोकसभा चुनाव में सिंधिया के खिलाफ गुना से चुनाव लड़ने को तैयार हैं। मंगलवार को उन्होंने कहा कि अगर पार्टी कहेगी तो वह इस महामुकाबले के लिए तैयार हैं। एमपी में पार्टी की कमजोर सीटों पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के अपने प्रदेशव्यापी अभियान के तहत सिंह सिवनी के दौरे पर थे। मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं।

पार्टी कहेगी तो तैयार
एक सवाल के जवाब में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि वे वर्तमान में राज्यसभा सदस्य हैं। उन्हें चुनाव लड़ने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन वे पार्टी के सिपाही हैं। पार्टी उन्हें जो भी करने का आदेश देगी, वे करेंगे। दिग्विजय ने आगे कहा कि उनका संसदीय क्षेत्र गुना नहीं बल्कि राजगढ़ है। पिछली बार उन्हें भोपाल से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया था। उन्होंने पार्टी का आदेश माना। इस बार भी पार्टी जो आदेश देगी, वे उसका पालन करेंगे।

2019 में दोनों हारे

सिंह 2019 में भोपाल से भाजपा के प्रज्ञा सिंह ठाकुर से हार गए थे। सिंधिया को भी गुना में कृष्ण पाल सिंह यादव से हार का सामना करना पड़ा था। तब सिंधिया कांग्रेस में थे। गुना से सिंधिया चार बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। मार्च 2020 में सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए।

200 साल पुरानी दुश्मनी

सिंधिया की ग्वालियर रियासत और दिग्विजय की राघोगढ़ रियासत के बीच दुश्मनी दो शताब्दी से भी ज्यादा पुरानी है। साल 1802 में ग्वालियर के महाराज दौलतराव सिंधिया ने राघोगढ़ रियासत के सातवें राजा जय सिंह को पराजित किया था। इसके बाद राघोगढ़ राजघराना ग्वालियर रियासत के अधीन आ गया था। दोनों परिवारों के संबंदों में खटास की शुरुआत यहीं से मानी जाती है। राघोगढ़, ग्वालियर रियासत के अधीन था। इसलिए दुश्मनी कभी खुलकर सामने नहीं आई। राजनीति में भी सिंधिया परिवार और दिग्विजय के रिश्ते ऐसे ही रहे हैं। ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया, दिग्विजय को अपना राजनीतिक दुश्मन मानते थे। माधवराव सिंधिया कभी दिग्विजय पर भरोसा नहीं करते थे, लेकिन वे खुलकर इस बारे में कभी नहीं बोलते थे। दिग्विजय सिंह भी सिंधिया परिवार को पटकनी देने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपने पिता के रास्ते पर चले और कांग्रेस में दिग्विजय से अलग अपने गुट के नेता थे। 2018 में जब ज्योतिरादित्य के मुख्यमंत्री बनने की बारी आई तो दिग्विजय ने कमलनाथ का समर्थन कर दिया था। इसके सवा साल बाद ज्योतिरादित्य कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए। 2024 में पहली बार दोनों के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल सकता है। राजा ने इसके लिए हामी भर दी है, लेकिन महाराज की ओर से कोई जवाब अब तक नहीं आया है।

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