इस फिल्म के कारण सिनेमाघर बन गए थे मंदिर, जूते-चप्पल उतारकर जाते थे लोग

वैसे तो आपको ये सुनने में थोड़ा सा अजीब तो लग रहा होगा मगर बता दें कि यह सच है एक फिल्म की वजह से लोगों ने सिनेमाघरों को मंदिर बना दिया था| फिल्म शुरू होने से पहले सिनेमाघर में आरती हुआ करती थी और प्रसाद भी बाटें जाते थे|
हम बात कर रहे है ३० मई साल १९७५ के दिन रिलीज़ हुई फिल्म जय संतोषी माँ फिल्म की| विजय शर्मा के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में अनीता गुहा, कनन कौशल, भारत भूषण और आशीष कुमार ने अहम किरदार निभाया था|

इस फिल्म की थीम धार्मिक थी और कई रोचक किस्सों के लिए मशहूर भी हुई थी| ऐसा ही एक किस्सा शेखर सुमन ने अपने शो ‘लाइट, कैमरा और किस्से’ में शेयर किया था| इतना ही नहीं मशहूर अदाकार अन्नू कपूर ने भी रेडियो चैनल ९२.७ बिग एफएम के जरिये भी इस किस्से का जिक्र किया था|

इनके मुताबिक फिल्म की थीम धार्मिक होने के कारण लोग जब भी सिनेमा हॉल में जाते तो अपनी जूते-चप्पल बाहर उतार कर जाते थे| इतना ही नहीं पटना के एक शख्स ने इसे अपनी कमाई का जरिया बना लिया था और एक सिनेमाघर के बाहर जूते-चप्पल सँभालने के लिए स्टॉल लगा लिया था| फिल्म के उतरते-उतरते उस युवक ने करीब १.७० लाख रुपये की कमाई चवन्नी-अठन्नी जमा करते हुई उस समय में कर ली थी|

वहीँ मायापुरी मैगजीन ने साल १९७५ के एक अंक में लिखा था कि जय संतोषी माँ की रिलीज़ के बाद एक ओर जहां संतोषी माता के भक्तों की संख्या कई गुना बढ़ गयी थी| वही फिल्म जगत में भी इसका जादू देखने को मिल रहा था| लोग जब भी एक-दुसरे को खत लिखा करते तो सबसे पहले ॐ शुभ लक्ष्मी लिखा करते थे| उसी तरह फिल्ममेकर्स ने अपनी फिल्मों के पोस्टर्स के ऊपर जय संतोषी माँ लिखना शुरू कर दिया था|

बता दें कि जय संतोषी माँ में संतोषी माँ का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री अनीता गुहा को उनके अभिनय के लिए बहुत मान और सम्मान मिला था| फिल्म के पहले लोग संतोषी माता के बारे में न ही ज्यादा जानते थे और न ही उनका व्रत किया करते थे| मगर फिल्म देखने के बाद माता की भक्ति और चमत्कारों की वजह से महिलाओं ने संतोषी माता का व्रत रखना शुरू कर दिया| आज भी करोड़ों महिलाएं संतोषी माता के व्रत को रखा करती है|

आपको बता दें कि साल १९७५ में इस फिल्म के साथ-साथ फिल्म ‘शोले’ और फिल्म ‘दीवार’ भी रिलीज़ हुई थी, फिर भी महज ५ लाख रुपये में बनी इस फिल्म ने करीब १ करोड़ रूपये की कमाई की थी और गोल्डन जुबली (५० हफ्ते) मनाई थी|
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