भोपाल, । मध्यप्रदेश नगरीय निकाय चुनाव को लेकर बड़ी अपडेट सामने आई है। दरअसल एक बार फिर से राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव ने कलेक्टर और अधिकारियों के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर को निर्देश जारी करते हुए राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव ने कहा कि 48 घंटे की काल अवधि में निर्वाचन संबंधित बात का प्रदर्शन नहीं किया जाएगा। बता दे कि पहले चरण में नगरी निकाय चुनाव 6 जुलाई को होने हैं इसके अलावा दूसरे चरण का चुनाव 13 जुलाई को संपन्न होगा।
सचिव राज्य निर्वाचन आयोग राकेश सिंह ने जानकारी दी है कि नगरीय निकाय आम निर्वाचन-2022 के दौरान मतदान क्षेत्र में निर्वाचन के लिए मतदान की समाप्ति के लिए नियत किए गये समय के साथ समाप्त होने वाले 48 घंटों की कालावधि के दौरान चलचित्र, इलेक्ट्रानिक या प्रिंट मीडिया या किसी अन्य साधन से जनता के समक्ष किसी निर्वाचन संबंधी बात का प्रदर्शन निषिद्ध किया गया है। राकेश सिंह ने इसके अनुसार कार्यवाही के निर्देश कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारियों को दिये हैं।
नगर पालिकाओं और नगर परिषदों के चुनाव भी दो चरणों में होंगे। जिसमें मतदान सुबह सात बजे से शाम पांच बजे तक होगा। पहले चरण में भोपाल इंदौर जबलपुर ग्वालियर खंडवा बुरहानपुर छिंदवाड़ा उज्जैन सागर सिंगरौली और सतना नगर निकाय में चुनाव का आयोजन 6 जुलाई को किया जाएगा जबकि पांच नगर निगम रीवा, कटनी, रतलाम, देवास और मुरैना में दूसरे चरण का चुनाव 13 जुलाई को आयोजित होगा।
वहीँ पहले चरण के लिए वोटों की गिनती 17 जुलाई को होगी, जबकि दूसरे चरण के लिए 18 जुलाई को वोट की गिनती की जाएगी।पहले चरण के लिए रिजल्ट की घोषणा 17 जुलाई जबकि दूसरे चरण के लिए रिजल्ट की घोषणा 18 जुलाई को की जाएगी।
इससे पहले नामांकन फॉर्म 11 जून से उपलब्ध हुए थे और नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 18 जून तक थी नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 22 जून रखी गई थी। ज्ञात हो कि 413 नगरीय निकायों में 16 नगर निगम हैं, जबकि 99 नगर पालिकाओं और 298 नगर परिषदों में चुनाव होंगे।
बता दें कि इससे पहले राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राकेश सिंह द्वारा स्पष्ट किया गया था के नगरीय निकाय चुनाव में स्टार प्रचारकों का कोई प्रावधान नहीं होगा अभ्यर्थियों के प्रकरण में नगरीय निकाय क्षेत्र की सीमा और पार्षद के उम्मीदवार के प्रकरण उनके वार्ड की सीमा निर्वाचन क्षेत्र के रूप में चिन्हित किए गए हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग की सचिव ने जानकारी देते बताया था कि महापौर और पार्षद के प्रकरण में विभाजन का अधिकतम सीमा में अनुपात किया जाएगा। इसके अलावा प्रचार के लिए बाहर से आने वाले व्यक्तियों पर होने वाली यात्रा व्यय को व्यय में शामिल नहीं किया जाएगा।