जयपुर : राजस्थान में क्या होगा? इसपर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच यह ‘सियासी मैच’ पल-पल बदल रहा है। कभी गहलोत इसमें हिट विकेट होते दिखते हैं तो कभी पायलट के रन आउट होते दिखते हैं। गुरुवार को दिल्ली में पहले अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से मुलाकात की तो अब सचिन पायलट भी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष के पास जाने वाले हैं। संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से यह कहे जाने के बाद कि राजस्थान को जल्द नया मुख्यमंत्री मिलने जा रहा है, माना जा रहा है कि ‘आखिरी’ ओवर में जीत पायलट की हो सकती है।
हालांकि, यदि सचिन को हाईकमान पुराने वादे के मुताबिक, राजस्थान का ‘पायलट’ बना भी देता है तो उनके लिए बहुमत जुटाना और सरकार चलाना आसान नहीं होने वाला है। खासकर तब जबकि गहलोत के कई मंत्री पूरी तरह बागवती तेवरों के साथ उनका विरोध कर रहे हैं। हाईकमान की ओर से नाराजगी जाहिर किए जाने के बावजूद 5-5 मंत्री बेहद मुखर होकर बोल रहे हैं। शांति धारीवाल, प्रताप सिंह खाचरियावास, धर्मेंद्र राठौर, महेश जोशी और गोविंद राम मेघवाल पायलट के विरोध में चट्टान बनकर खड़े हैं।
बता रहे हैं गद्दार, हरगिज नहीं स्वीकार
नंबरगेम में पायलट गहलोत से काफी पीछे बताए जाते हैं। 2020 में भी बगावत के दौरान वह डेढ़ दर्जन से अधिक विधायकों को अपने पाले में लाने में कामयाब नहीं रहे थे और स्थिति कमोबेश अभी भी वैसी ही है। हाईकमान यदि उनके नाम पर मुहर लगाता है तो गहलोत कैंप के कई विधायक पायलट की ओर पलटी मार सकते हैं, लेकिन फिलहाल कई विधायक और कम से कम छह मंत्री सीमा लांघते नजर आ रहे हैं। ये नेता पिछले 2-3 दिन से पायलट को ‘गद्दार’ कहकर संबोधित कर रहे हैं साफ कर चुके हैं कि पायलट हरगिज मंजूर नहीं हैं। गोविंद राम मेघवाल ने तो यहां तक कह दिया है कि विरोधी गुट से किसी व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाया गया तो सभी विधायक इस्तीफा दे देंगे।
हाईकमान पर दबाव बनाने की कोशिश?
एक तरफ गहलोत पूरे प्रकरण पर सार्वजनिक बयानबाजी से बच रहे हैं और पार्टी में अनुशासन के पालन कीीक बात कर रहे हैं तो दूसरी तरफ उनके मंत्री लगातार बयानबाजी कर रहे हैं। माना जा रहा है कि सोनिया गांधी से गहलोत की मुलाकात के बीच उनके मंत्री हाईकमान को संकेत देना चाहते हैं कि राजस्थान में गहलोत की मर्जी ही चलेगी। यदि गहलोत की इच्छा के बिना किसी को सत्ता सौंपी गई तो राज्य में सरकार खतरे में पड़ सकती है। रविवार को अपने आवास पर विधायकों के साथ मुलाकात के दौरान शांति धारीवाल ने पंजाब का उदाहरण देते हुए कह दिया था कि राजस्थान भी हाथ से चला जाएगा।