नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर लगातार विदेश यात्रा कर रहे हैं। उनके बयानों और भारत की कूटनीति की काफी प्रशंसा भी हो रही है। सोमवार को उन्होंने कहा था कि पश्चिमी देशों से हथियारों के सप्लाई ना होने की वजह से भारत की निर्भरता रूस पर थी। वहीं यूक्रेन को लेकर स्पष्ट और तीखा रुख रखने को लेकर भी भारत के विदेश मंत्री की तारीफ की गई है। ऑस्ट्रेलिया दौरे के समय उन्होंने कहा, पश्चिमी देश देख रहे हैं कि हमारे पड़ोस में ही एक सैन्य तानाशाही वाला देश है फिर भी उसको सहयोगी बना रहे हैं।
बता दें कि फरवरी में जब से रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है पश्चिमी देश रूस को अलग-थलग करने के प्रयास कर रहे हैं। रूस दुनिया के कई देशों को हथियार और ईंधन सप्लाई करता है। कई देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। हालांकि भारत ने ऐसा नहीं किया है।
एस जयशंकर के जिन बयानों की चर्ची दुनियाभर में हो रही है, वे इस प्रकार हैं।
रूस से तेल आयात करने के सवाल पर जयशंकर ने अगस्त में कहा था, ‘हम उस देश से आते हैं जहां प्रति व्यक्ति आय 2 हजार डॉलर है। यहां लोग ऊंची कीमतों में तेल नहीं खरीद सकते हैं।’ भारत के हितों को प्राथमिकता देते हुए उन्होंने कहा था, हमारा कर्तव्य है कि हम अपने लोगों को दुनिया में जो सबसे अच्छा सौदा हो वह उपलब्ध करवाएं ताकि उन्हें महंगाई से ना जूझना पड़े।
पाकिस्तान को एफ-16 पैकेज देने पर विदेश मंत्री ने अमेरिका को खरी-खरी सुनाई थी। उन्होंने कहा था कि आप किसी को बेवकूफ नहीं बना सकते। उन्होंने कहा था, ईमादारी से बताऊं तो इस कदम से ना तो पाकिस्तान का भला होने वाला है और ना ही अमेरिका का। उन्होंने कहा था कि इससे भारत और अमेरिका के संबंध पर असर पड़ सकता है। बाद में अमेरिकी विदेश मंत्री ने सफाई दी थी और कहा था कि यह पैकेज पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने के लिए दिया जा रहा है।
एक दूसरे कार्यक्रम में जयशंकर ने कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर कहा था कि इंटरनेट का बंद होने किसी की जान जाने से ज्यादा खतरनाक नहीं हो सकता। इसके अलावा उन्होंने कहा था, जिस तरह से हमारा देश सूचना और तकनीक में महारथी है वैसे ही हमारा पड़ोसी अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के क्षेत्र में महारत हासिल कर चुका है.।