शिव की सबसे ऊंची प्रतिमा से जुड़े तथ्य

यूं तो देश में शिव भगवान के मंदिर है..जिसके दर्शन करने हेतु हर साल लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं।
इस मूर्ति “आदियोगी”को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड्स में शामिल कर दिया गया है। गौरतलब है कि इस प्र‍तिमा को इशा योगा फाउंडेशन ने स्थापित किया है। अब गिनीज बुक ने अपनी इसमें कहा गया है कि इशा योगा फाउंडेशन की ओर से तमिलनाडु के कोयंबटूर में स्थापित प्रतिमा ने विशाल वक्ष के कारण रिकॉर्ड में नाम दर्ज किया है। बता दें कि इस प्रतिमा का अनवारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 फरवरी को किया था।

कहां है स्थित?
भगवान शिव की यह मूर्ति तमिलनाडु के कोयंबटूर स्थित वेल्लिंगिरी की पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है।

दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति
इस मूर्ति का निर्माण ईशा योग फाउंडेशन द्वारा किया। यह दुनिया की सबसे बड़ी शिव की मूर्ति है।

ऊंचाई
इसकी ऊंचाई 112 फुट है।

500 टन स्टील
इसे बनाने में 500 टन वजन के स्टील का प्रयोग किया गया है।

ढाई साल में बना डिजाइन
इस विशाल कृति का डिजाइन तैयार करने में ढाई साल का समय लगा जबकि इसे बनाने में 8 महीने की कड़ी मेहनत।

ऊंचाई को लेकर खास वजह शिव की इस प्रतीमा का जहां धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है वहीं इसका ज्यामितीय महत्व भी है। इसकी ऊंचाई 112 फुट रखने के पीछे भी एक खास वजह है। दरअसल, शिव ने आदियोगी रूप में मुक्ति के 112 मार्ग बताए हैं।

नंदी की मूर्ति है खास इसी आधार पर इसकी ऊंचाई रखी गई है।इसे एक खास तरीके से बनाया गया है। शिव के वाहन नंदी को बनाने के लिए महज 6 से 9 इंच के धातु टुकड़ों का प्रयोग किया गया है। इस प्रतिमा को तिल के बीज, हल्दी, भस्म और रेत-मिट्टी भरकर इसे बनाया गया है।