सतपुड़ा भवन में लगी भीषण आग 30 साल पुराने दमकल वाहन, 50% कम स्टाफ, 80% अप्रशिक्षित अमला, सवाल : कैसे बुझेगी आग?

भोपाल प्रदेश के सतपुड़ा भवन में लगी भीषण आग से कई विभागों और कार्यालय के जरूरी दस्तावेज जलकर खाक हो गये। सोमवार को भोपाल के सरकारी विभागों के कार्यालय वाले सतपुड़ा भवन की तीसरी मंजिल पर भीषण आग लग गई। अधिकारियों द्वारा आग बुझाने के लिए सेना भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और तेल कंपनियों की दमकल की गाड़ियां बुलाई गई थी। हालांकि आग इतनी भीषण थी कि फर्नीचर सहित कई दस्तावेज जलकर खाक हो गए है। इस आग में 12000 से अधिक फाइलें जलने की बात भी सामने आ रही है। हालांकि इस आग पर 14 घंटे के बाद काबू पा लिया गया था।वही आग बुझाने के लिए व्यवस्था में भारी कमी देखने को मिली है।

6वीं फ्लोर पर फिर भड़की आग 

आग पर काबू पाए जाने के बाद मिल रही जानकारी के मुताबिक एक बार फिर से 6 फ्लोर पर आग भड़क गई है। जबकि कई कार्यालय से अभी धुआं निकल रहा है। सीएम द्वारा रिव्यू बैठक भी बुलाई गई है। वही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर गठित अफसरों की टीम भी सतपुड़ा भवन में जांच के लिए पहुंच गई है। जाँच दल के सदस्य राजेश राजौरा का कहना है कि प्रारंभिक जायजा लिया गया है। अभी आग लगने के कारण पर कुछ कहना जल्दबाजी होगी। आग पर काबू पा लेने के बाद  6वीं मंजिल पर अभी भी धुआँ निकल रहा है। दोपहर 1:00 बजे के बाद जांच शुरू की जाएगी। इसी बीच आग बुझाने की मशक्कत में सबसे बड़ी कमी निकलकर सामने आई है।

12000 से अधिक दस्तावेज और सरकारी फाइलें जलकर खाक 

सतपुड़ा भवन में लगी भीषण आग को बुझाने की मशक्कत 14 घंटे तक जारी रही। 14 घंटे की कोशिश के बाद आग पर काबू पाया गया था। भीषण आगजनी में 12000 से अधिक दस्तावेज और सरकारी फाइलें जलकर खाक होने की बात कही जा रही है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या फायर बिग्रेड में कार्यरत 80 से 85% दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी आग बुझाने में सक्षम है?

फायर ब्रिगेड के 80 फीसद स्टाफ अनट्रेंड

दरअसल भोपाल के फायर ब्रिगेड के 80 फीसद स्टाफ अनट्रेंड हैं और दैनिक वेतन भोगी कर्मी के अप्रशिक्षित होने की वजह से उन्हें कार्य का खासा अनुभव नहीं है। ऐसे में आग को बुझाने की मशक्कत बड़ी लंबी चली और 14 घंटे के बाद आग पर काबू पाया गया था। भीषण आगजनी के बीच कर्मियों के पास आग बुझाने की ट्रेनिंग नहीं होना, बड़े गंभीर सवाल खड़े कर रहा हैं।

व्यवस्था में भरी कमी

फायर ब्रिगेड अमले की बात की जाए तो 32 फायर फाइटर वाहन के अलावा यहां भी 50% कम दमकल वाहन व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर रही है। अमले के पास 20 से 46 साल पुराने दमकल वाहन है जबकि नेशनल एडवाइजरी कमिटी के अनुसार दमकल वाहन के काम करने की उम्र महज 10 साल मानी जाती है। ऐसे में चरमराई व्यवस्था के साथ फायर ब्रिगेड द्वारा कंडम हो चुके वाहनों से आग बुझाई जा रही है।

कई कार्यालय से अभी तक तेज धुआ निकल रहा है। फायर ब्रिगेड हमले में 800 से 1000 कर्मचारी की जरूरत थी लेकिन अमले के पास कर्मचारियों की संख्या भी बेहद कम है। सिर्फ 400 कर्मचारी सहित 50% स्टाफ की कमी विभाग की व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगा रही है। इसके साथ ही अमले के पास दो हाइड्रोक्लोरिक वाहन मिले हैं। जिनमें एक 30 साल से भी अधिक पुराना है। 2023 में खरीदे गए करोड़ों के एलटीटी वाहन को सतपुड़ा की आग बुझाने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी है। वही लेटेस्ट तकनीक से लैस वाहन के भवन परिसर में ले जाने में काफी परेशानी देखने को मिली है।

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