भोपाल : मध्य प्रदेश के वन कर्मचारियों को वसूली के नोटिस मिलने के बाद से उनमें गुस्सा है, वन कर्मचारी संघ ने इस कड़ा ऐतराज जताया है, संघ के पदाधिकारियों ने इस मामले को लेकर हुए विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर वन मंत्री तक को ज्ञापन सौंपे हैं और वसूली नहीं रोकने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।
वन कर्मचारी इस समय उन्हें मिल रहे नोटिस से परेशान हैं, वन विभाग वन आरक्षकों, वन संरक्षकों सहित अन्य कर्मचारियों को वसूली के नोटिस भेज रहा है इतना ही नहीं इस वसूली के साथ ब्याज भी वसूला जा रहा है ये पूरा मामला वेतन से जुड़ा है, कहा जा रहा है कि कर्मचारियों को उनके खाते में भेजा जा रहा वेतन अधिक पहुंच गया है लिहाजा वो वापस लिया जाना है।
जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक 6592 वनरक्षक को ब्याज सहित 1 लाख 29 हजार वसूली के नोटिस दिए गए है इतनी राशि के नोटिस प्रत्येक वन आरक्षक को दिए गये हैं, दरअसल वन विभाग द्वारा वन रक्षकों को जारी की जाने वाली सैलरी में बड़ी गड़बड़ी का पिछले दिनों खुलासा हुआ था, गड़बड़ी पाए जाने के बाद 6592 वनरक्षकों से 165 करोड़ रुपए की वसूली के लिए आदेश जारी किये गए।
वित्त विभाग की गलती का खामियाजा कर्मचारी भुगत रहे
पूरा मामला ये है कि वन विभाग ने वनरक्षकों को 5680 मूलवेतन देने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था प्रस्ताव का वित्त विभाग ने परीक्षण किया, परीक्षण में वन रक्षक भर्ती नियम उल्लंघन का खुलासा हुआ, जहां भर्ती नियम के अंतर्गत 5200 मूलवेतन देने दिया जाना था, वहां 6592 वनरक्षकों को 5680 मूलवेतन दिया गया, वन विभाग ने वेतन की गलत गणना की और कोषालय भी उन्हें बढ़ा हुआ वेतन जारी करता रहा।
वनरक्षकों को थमाये लाखों की वसूली के नोटिस
अब जब शासन की आंख खुली तो 2006 से काम कर रहे वनरक्षको से पांच लाख रुपये और 2013 से काम कर रहे वनरक्षकों से 1.5 लाख रुपए वसूलने के नोटिस थमा दिए इसके साथ शासन ने 12 प्रतिशत की दर से ब्याज भी लगा दिया, अब वन कर्मचारी संघ का कहना है कि गलती शासन के जिन अधिकारियों ने की उनसे जवाब मांगा जाये और वसूली की जाये, इसमें कर्मचारी की गलती कहा से हुई।
वन कर्मचारी संघ ने दी आंदोलन की चेतावनी
वन कर्मचारी संघ के महामंत्री आमोद तिवारी ने कहा कि वेतन में विसंगति शासन स्तर पर हुई तो कर्मचारी कहाँ से दोषी हो गया? उन्होंने वसूली नोटिस को कोर्ट के आदेशों को बताया और कहा कि यदि शासन ने ये वसूली नहीं रोकी तो वन कर्मचारी संघ आंदोलन करने के लिए मजबूर होगा और यदि हम सड़क पर उतारे तो आर पार की लड़ाई होगी।