भोपाल : कहते हैं कि माया मोह के बाद अध्यात्म की अवस्था आती है। आसक्ति के बाद विरक्ति आती है। भले ही ये अवस्था स्थायी न हो, लेकिन कई बार मन कोई सुकून वाला ठौर तो तलाशता ही है। खासकर ऐसा कोई व्यक्ति हो जो लगातार शक्ति का केंद्र रहा हो, भीड़ शोर और प्रशंसकों से घिरा रहे, अर्दलियों की फौज हो सेवा में तो और फिर यकायक ये सब बदल जाए तो मन में वैराग्य जागना स्वाभाविक है। फिर भले ही क्षणिक ही क्यों न हो। तो क्या इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ऐसे ही दौर से गुजर रहे हैं ?
शिवराज सिंह चौहान ने शेयर किया श्रीमद्भगवद्गीता का ये श्लोक
ये सवाल इसलिए कि आज उन्होने अपने एक्स अकाउंट से श्रीमद्भगवद्गीता का एक श्लोक साझा किया है। और ये श्लोक किसी अप्रत्यक्ष संदेश की तरह प्रतीत हो रहा है। उन्होने लिखा है ‘गीता के 12वें अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने शत्रु मित्रादि में समभाव वाले स्थिरबुद्धि प्रिय भक्त के लक्षण बताते हुए कहा है- सम: शत्रौ च मित्रे च तथा मानापमानयो:। शीतोष्णसुखदु:खेषु सम: सङ्गविवर्जितः।। तुल्यनिन्दास्तुतिर्मौनी संतुष्टो येन केनचित्। अनिकेतः स्थिरमतिर्भक्तिमान्मे प्रियो नरः॥’ इसका अर्थ है जो शत्रु और मित्र में तथा मान-अपमान में सम है और शीत-उष्ण (अनुकूलता-प्रतिकूलता) तथा सुख-दुःख में सम है एवं आसक्ति से रहित है, और जो निन्दा स्तुति को समान समझने वाला, मननशील, जिस-किसी प्रकार से भी संतुष्ट रहने के स्थान तथा शरीर में ममता-आसक्ति से रहित और स्थिर बुद्धिवाला है, वह भक्तिमान मनुष्य मुझे प्रिय है।
क्या हैं इस श्लोक को शेयर करने के मायने!
इस बात में तो कोई संदेह नहीं कि प्रदेश के मुखिया पद से हटने के बाद बहुत कुछ परिवर्तन हुए हैं। लंबे समय तक पूरे प्रदेश में उनका वर्चस्व रहा और शिवराज के पास अपार शक्ति और सामर्थ्य था। हालांकि अब भी उनका राजनीतिक करियर खत्म नहीं हुआ है और ये कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी उन्हें लोकसभा चुनाव मे उतार सकती है। लेकिन ये आने वाले कल की बात है और मौजूदा हालात अलहदा हैं। पिछले दिनों हुए राजनीतिक परिवर्तन का प्रभाव स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर है। सीएम हाउस छोड़ने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने अपने नए आवास का नाम ‘मामा का घर’ रखा है। मध्य प्रदेश की वीआईपी लिस्ट में वो पहले नंबर से खिसकर पांचवें नंबर पर पहुंच चुके हैं। एक समय जो प्रदेश की सत्ता के केंद्र थे, वो अब धुरी से भी बाहर हैं। ऐसे में इस तरह का विरक्तिभाव कोई अचरज की बात नहीं। हालांकि ये कहना मुश्किल है कि शिवराज ने किन संदर्भ में इस श्लोक का उल्लेख किया है, लेकिन अगर वो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसे शेयर कर रहे हैं तो ज़ाहिर तौर पर कोई न कोई मैसेज देने की कोशिश तो है ही। इसके बाद सवाल उठना भी लाज़मी हैं और कयास लगने भी। देखना होगा कि क्या आगे इस श्लोक के बाद वो इसका मंतव्य भी बताएंगे..या नहीं।