हरदा : वाराणसी के काशी विश्वनाथ कॉरिडोरऔर उज्जैन महाकाल लोक की तर्ज पर केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से हरदा जिले के हरदा नगर में स्थित गुप्तेश्वर महादेव और खिरकिया नगर के पास चारूवा स्थित प्रसिद्ध स्वयंभू गुप्तेश्वर महादेव परिसर में भी गुप्तेश्वर महादेव लोक बनाया जाएगा। मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री एवं किसान नेता कमल पटेल ने शनिवार को महाशिवरात्रि पर्व पर चारूवा स्थित स्वयंभू गुप्तेश्वर महादेव मेले का उद्घाटन करते हुए उपरोक्त घोषणा की। उन्होंने कहा कि हरदा जिले के दोनों स्थानों पर गुप्तेश्वर महादेव लोक का निर्माण शीघ्र चालू करवाया जाएगा और जिन इंजीनियरों ने वाराणसी कॉरिडोर और उज्जैन में महाकाल लोक बनाया है। उनकी सेवाएं गुप्तेश्वर महादेव कॉरिडोर बनाने में ली जाएंगी।
धार्मिक पर्यटन केंद्र
कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि दोनों जगहों को धार्मिक पर्यटन का केंद्र बनाया जाएगा और जो सुविधाएं वाराणसी और उज्जैन में पर्यटकों को मिल रही है। वैसी ही सुविधाएं गुप्तेश्वर महादेव लोक मे भी मिलेगी। उन्होंने कहा कि उज्जैन से लेकर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के साथ भारत माता का मंदिर बनना, देश का आगे बढ़ना, गरीबी को दूर करने के साथ अधोसंरचना के जो सारे काम हो रहे हैं। उसका श्रेय देश की जनता को ही जाता है क्योंकि यह सभी पुण्य कार्य जनता के वोट से ही केंद्र और राज्य में संभव हो रहे हैं। दोनों जगह पर डबल इंजन की भाजपा सरकार है।
मेले लगने है जरूरी
मंत्री कमल पटेल ने कहा कि देश के नागरिकों को रोटी, कपड़ा और मकान, हर घर में नल जल, बच्चों को अच्छी पढ़ाई की व्यवस्था आजादी के 60 साल बाद भी नहीं मिली लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही यह सभी काम तीव्र गति से हो रहे हैं। इन कामों का श्रेय भी मैं आप सब को समर्पित करता हूं।देश का किसान अब समृद्धशाली और आत्मनिर्भर हो रहा है। जिससे विश्व पटल पर भारत के विश्व गुरु बनने दिशा में देश कदम बढ़ा रहा है। उन्होंने मेलों के आयोजन के महत्व को बताते हुए कहा की मेलों का लगना अपना एक अलग महत्व है। मेले हमारी संस्कृति और पुरानी परंपरा को जीवित रखते हैं। मेले लगने से एक दूसरे के दिल मिलते हैं इसलिए मेले लगते रहना चाहिए।
बेहद खास है हरदा जिले के चारूवा स्वयंभू गुप्तेश्वर महादेव मंदिर
हरदा जिले के खिरकिया नगर से करीब 8 किमी दूर स्थित प्राचीन गुप्तेश्वर मंदिर नगर, क्षैत्र, जिला व प्रदेश में प्रसिद्धी प्राप्त हैं। जानकारी के अनुसार स्वर्णकार समाज के भक्त को भगवान भोले ने साक्षात दर्शन देकर टीले के नीचे मंदिर दबे होने की बात कही। इसके बाद खुदाई करने पर उत्पन्न मंदिर से यहां महाशिवरात्रि में आस्था देखते ही बनती हैं। खुदाई में मंदिर निकलने की यह चमत्कार लगभग 250 वर्ष पहले की बात कही जाती हैं।इतिहास में चंपावती नगरी तथा वर्तमान में अब चारूवा से मात्र डेढ किमी दूर हरिपुरा में कल – कल बहती कालीमाचक नदी के बाणगंगा तट पर स्थित स्वयं – भू भगवान गुप्तेश्वर का टीले पर शिवलिंग हजारों लोगों के आस्था का केंद्र बना हुआ है। बदलते परिवेश में अब यहां आस्था के साथ पर्यटन स्थल भी बनता जा रहा है, जो तहसील की शान बन चुका है। वैसे शिवलिंग की स्थापना के बारे में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित है, मगर मंदिर वर्षों पुराना होना इतिहास के कागजों में दर्ज है। कथाओं में ही बताया गया कि गुप्तेश्वर मंदिर गुप्त स्थान से निकलने के कारण मंदिर का नामकरण गुप्तेश्वर किया गया है।