भोपाल : कड़ाके की ठंड के बीच मध्य प्रदेश में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल 20वें दिन भी जारी है। इनका कहना है कि जब तक सरकार हमारी मांगों को पूरा नहीं करेगी, तब तक हम अनिश्चितकालीन हड़ताल पर डटे रहेंगे। वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने भी ट्वीट करते हुए कहा है कि इस हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा रही हैं, लेकिन सरकार इसे लेकर कोई कदम नहीं उठा रही है।
स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित
हड़ताली कर्मचारियों का कहना है पिछली बार भी सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया था और वह आश्वासन झूठा निकला। इसी प्रकार सरकार इस बार भी बस आश्वासन ही दे रही है लेकिन अब हम आश्वासन नहीं प्रमाण चाहते हैं। बता दें कि इनकी दो प्रमुख मांगों में पहली है सभी कर्मचारियों का नियमितीकरण और दूसरी मांग है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से हटाकर आउटसोर्स किए गए सपोर्ट स्टाफ एवं निष्कासित कर्मचारियों को तत्काल बहाल किया जाए। इन्होने कहा है कि जब तक ये दोनों मांगें प्रमुख रूप से नहीं मानी जाएंगे, अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगी और इस बीच जो भी सेवाएं प्रभावित होंगी उसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।
इन मांगों को लेकर भोपाल के जेपी अस्पताल परिसर में धरना आंदोलन जारी है। इधर संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की प्रदेशभर में जारी हड़ताल से स्वास्थ्य विभाग पर काफी असर पड़ रहा है। जो लोग अस्पताल में इलाज कराने आ रहे हैं उन्हें सही इलाज नहीं मिल पा रहा है। इस कारण सरकार और स्वास्थ्य विभाग की दिक्कतें भी बढ़ती नजर आ रही हैं। वहीं, संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के प्रदेशभर से आए जिला अध्यक्षों की मयूर पार्क में एक बैठक जारी की गई है। हालांकि इस बैठक में क्या फैसले लिए गए हैं अभी यह सामने नहीं आ पाया है , मगर इस बैठक से इतना साफ हो गया है कि ये इस बार किसी तरह के समझौते के मूड में नहीं हैं।
कमलनाथ ने सरकार को घेरा
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस मुद्दे पर सरकार से सवाल किए हैं। ट्वीट करते हुए उन्होने कहा कि ‘प्रदेश के 32000 संविदा स्वास्थ्य कर्मी 15 दिसंबर से हड़ताल पर हैं। प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का हाल पहले से ही खराब है, लेकिन सरकार ने अब तक इस हड़ताल को समाप्त कराने के लिए कोई न्याय प्रिय कदम नहीं उठाया है। प्रदेश में बढ़ती ठंड और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोरोना को लेकर जताई जा रही आशंकाओं के बीच यह बहुत जरूरी है कि संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की बात सुनी जाए और मध्य प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य सुविधाओं की अव्यवस्था से बचाया जाए।’