मैरिटल रेप को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में हुई सुनवाई,आखिर क्यों जज एक मत पर नहीं हुये ?

दिल्ली हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस सी. हरिशंकर ने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने की एक याचिका की सुनवाई करते हुए खंडित फैसला सुनाया है। आईपीसी की धारा 375 अपवाद 2 वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी से बाहर रखता है और दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में आईपीसी की धारा 375 अपवाद 2 को चुनौती दी गई। वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने की मांग की गई हैं।

मैरिटल रेप को लेकर कोर्ट ने 2015 में दायर की गई याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा था। बता दें कि केंद्र ने मैरिटल रेप यानी पत्नी के सहमति के बिना संबंध बनाना को अपराध मानने से केंद्र सरकार ने मना कर दिया था। साल 2017 में केंद्र ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि भारत आंख बंद करने पश्चिम का अनुसरण नहीं कर सकता है।

इसकी सुनवाई 2022 में दोबारा शुरू हुई थी। कोर्ट ने कहा था कि मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में तब तक नहीं रखा जा सकता है, जब तक सभी पक्षों के साथ चर्चा पूरी नहीं हो जाती। इसको लेकर बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों जजों ने अलग-अलग राय दी है।

जस्टिस राजीव शकधर ने आईपीसी की धारा 375 अपवाद 2 को असंवैधानिक बताया और इसे खत्म करने का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाने वालों को सजा देनी चाहिए। वहीं जस्टिस सी. हरी शंकर ने इसपर असहमति जताते हुए कहा कि मैरिटल रेप को किसी कानून का उल्लंघन नहीं माना जा सकता है। अब इस याचिका की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होगी।