हाई कोर्ट का कर्मचारियों के लिए बड़ा फैसला, होगा वेतन का भुगतान, सरकार को 6 सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश…

लखनऊ : हाई कोर्ट ने कर्मचारी को बड़ी राहत दी है। दरअसल एनपीएस के मामले में राज्य सरकार को बड़ा झटका देते हुए हाईकोर्ट ने शिक्षकों के वेतन ना रोकने के आदेश दिए। इसके साथ ही अब शिक्षकों को वेतन का भुगतान किया जाएगा। हाईकोर्ट लखनऊ बेंच ने स्पष्ट किया है कि एनपीएस ना अपनाने वाले शिक्षकों के वेतन को रोका नहीं जाना चाहिए।

एनपीएस ना अपनाने वाले शिक्षकों को वेतन रोकने का प्रावधान 

दरअसल बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिसमें राज्य सरकार के 16 सितंबर 2022 के शासनादेश के प्रावधान को चुनौती दी गई थी। इस प्रावधान के तहत एनपीएस ना अपनाने वाले शिक्षकों को वेतन रोकने का प्रावधान किया गया है।

मामले में हाईकोर्ट की एकल पीठ के न्यायमूर्ति पंकज भाटिया द्वारा याचिका की सुनवाई की गई। इस दौरान दलील देते हुए वकील ने कहा कि शुरुआत में 28 मार्च 2005 को एक अधिसूचना जारी की गई थी। जिसमें एनपीएस उन कर्मचारियों के लिए अनिवार्य किया गया था, जिन्होंने 1 अप्रैल 2005 के बाद सेवा की नियुक्ति प्राप्त की है। इससे पूर्व के कर्मचारियों के लिए इसे स्वैच्छिक रखा गया था जबकि याचिकाकर्ताओं द्वारा एनपीएस नहीं अपनाने की स्थिति में उनके वेतन रोके जा रहे हैं। जिस पर याचिकाकर्ता द्वारा याचिका दायर की गई थी।

इतनी दलील पेश करते हुए कहा गया कि 16 दिसंबर 2022 को सरकार द्वारा शासन आदेश जारी करते हुए क्लोज 3(5) के तहत यह प्रावधान किया गया है कि जिन कर्मचारियों द्वारा एनपीएस नहीं अपनाया गया है और पीआरएएन में रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया है, उन्हें वेतन का लाभ नहीं दिया जाएगा। याचिकाकर्ता की तरफ से वकील ने दलील पेश करते हुए कहा कि राज्य सरकार का आदेश मनमाना है और किसी भी परिस्थिति में इस आधार पर सरकारी कर्मचारियों के वेतन को नहीं रोका जा सकता है।

6 सप्ताह के अंदर जवाब पेश करने के आदेश

जिसमें सुनवाई करने के बाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि एनपीएस ना चुनने वाले कर्मचारियों के वेतन को सरकार नहीं रोक सकती है। वहीं राज्य को निर्देश दिया गया कि अगले आदेश तक याचिकाकर्ता का वेतन ना रोका जाए क्योंकि इस पर विचार करने की आवश्यकता है। इतना ही नहीं पंकज भाटिया की पीठ द्वारा याचिका पर राज्य सरकार, बेसिक शिक्षा अधिकारी के अधिवक्ताओं को 6 सप्ताह के अंदर जवाब पेश करने के आदेश दिए गए हैं। मामले में पीठ ने कहा कि यह अंतरिम आदेश है और इस मुद्दे पर अंतिम रूप से फैसला किया जाना अभी शेष है।

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