मध्य प्रदेश की राजधानी की रेस में भोपाल , जबलपुर , इंदौर और ग्वालियर सभी अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे। उस समय भोपाल में भवनों की संख्या जबलपुर से ज्यादा थी इसलिए यह पहली पसंद बन गया। यहां न ज्यादा गर्मी और ना ही ज्यादा सर्दी होती थी, यहां ज्यादा बारिश होने के बाद बाढ़ जैसे हालात भी नहीं आते थे वहीं अन्य राज्यों में यह दिक्कत देखने को मिलती रहती थी। यह एक सामन्य क्षेत्र था। जिस तरह मध्यप्रदेश देश के बीचों बीच स्थित है उसी तरह भोपाल भी मध्यप्रदेश के मध्य स्थित है। 1972 में इसे जिले का दर्जा दिया गया।