अभी हाली में देश के अलग-अलग राज्यों में जिस तरह के धार्मिक दंगे हमें देखने को मिले हैं ये आम जन में सौहार्द्र बिगाड़ने वाला माहौल है अब इन दंगों के बाद जब बुलडोजर की कार्रवाई सरकार द्वारा की गई तो, इसे कानून के जानकारों ने असंवैधानिक बताया वहीं दूसरी ओर पीएम नरेंद्र मोदी को सौ से अधिक पूर्व नौकरशाहों ने पत्र लिखकर उम्मीद जताई है कि वे ‘नफरत की राजनीति’ को समाप्त करने का आह्वान किया है और भारतीय जनता पार्टी के नियंत्रण वाली सरकारों में कथित तौर पर इस पर ‘कठोरता से’ जोर देने की बात कही है.
पूर्व नौकरशाहों ने एक खुले पत्र में कहा, ‘हम देश में नफरत से भरी तबाही का उन्माद देख रहे हैं, जहां बलि की वेदी पर न केवल मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य हैं, बल्कि संविधान भी इसका शिकार हो रहा है.
पत्र में कहा गया है, ‘‘पूर्व लोक सेवकों के रूप में, हम आम तौर पर खुद को इतने तीखे शब्दों में व्यक्त नहीं करना चाहते हैं, लेकिन जो हमारे पूर्वजों ने एक संवैधानिक ढांचा खड़ा किया था वह आज बहुत तेजी से को नष्ट किया जा रहा है, इस सब दृश्य को देखने के बाद हमें बोलने और अपना गुस्सा और पीड़ा व्यक्त करने के लिए मजबूर करता है.
पीटीआई एजेंसी के मुताबिक, पत्र में कहा गया, “हम देश में नफरत से भरे विनाश का उन्माद देख रहे हैं, जहां न सिर्फ मुस्लिम और अल्पसंख्यकों को ही निशाना बनाया जा रहा है, बल्कि संविधान के साथ खिलवाड़ भी हो रहा है. एजेंसी के मुताबिक़ इस पत्र पर लगभग 108 पूर्व नौकरशाहों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें सबसे मुख्य हैं नाम दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लई और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मुख्य सचिव टी के ए नायर शामिल हैं.