बॉलीवुड के एक दौर में फिल्मों में एक जाना पहचाना चेहरा हुआ करता था जिन्हें दहशत का दूसरा नाम कहा जाता था। इनका नाम रामी रेड्डी था, ये ऐसे विलन थे जिन्होंने परदे पर बेशुमार डराया, लेकिन इनके अंतिम समय में इनकी शक्ल को पहचानना बेहद मुश्किल हो गया था।
रामी रेड्डी का पूरा नाम गंगासामी रामी रेड्डी था। १ जनवरी १९५९ के दिन आंध्रप्रदेश के चित्तूर डिस्ट्रिक्ट में जन्मे रामी रेड्डी ने हैदराबाद के मशहूर उस्मानिया यूनिवर्सिटी से पढाई की थी और जर्नलिस्म की डिग्री हासिल की थी। उन्होंने हैदराबाद में ही ‘एम एफ डेली’ नामक अखबार के लिए काफी अरसा काम भी किया।
एक पत्रकार की नौकरी करने के बाद इन्होंने फ़िल्मी दुनिया में कदम रखा, जहां उन्हें काफी सफलता भी मिली। ८०-९० के दशक में ये वो दौर था जब एक विलन को विलन की तरह लगना बेहद जरुरी हुआ करता था। इन दशकों में ज्यादातर फिल्मों में विलन के किरदार का महज एक ही काम हुआ करता था, जिसमें एक हैवान सा आदमी अपनी हरकतों से हीरों और हिरोइनों पर हावी रहता था। इस किरदार के लिए रामी रेड्डी बिलकुल फिट आदमी थे। जो पहला रोल उन्हें मिला उसी फिल्म में उन्होंने झंडे गाढ़ दिए थे।
साल १९८९ की तेलगु एक्शन फिल्म ‘अंकुशम’ में उन्हें मैन विलन का किरदार मिला, जिसका नाम था ‘स्पॉट नागा’। ये वही फिल्म थी जिसने तेलगु सुपरस्टार राज शेखर के करियर में जबरजस्त उछाल ला दी थी। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर आग लगा दी थी।
साल १९८९ की तेलगु एक्शन फिल्म ‘अंकुशम’ में उन्हें मैन विलन का किरदार मिला, जिसका नाम था ‘स्पॉट नागा’। ये वही फिल्म थी जिसने तेलगु सुपरस्टार राज शेखर के करियर में जबरजस्त उछाल ला दी थी। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर आग लगा दी थी।
इस फिल्म की सफलता के पीछे जितना अभिनेता राज शेखर का हाथ था उतना ही फिल्म के विलन रामी रेड्डी का भी था। उनके अभिनय को दर्शकों का मन मोह लिया था। उनकी डरावनी शक्ल और अदाकारी की वजह से लोग थिएटर तक खींचे चले आये थे। फिल्म इतनी सफल हुई कि बाद में इस फिल्म की हिंदी, तमिल और कन्नड़ में रीमेक भी बनी। हर रीमेक फिल्म में अभिनेता तो बदल दिया गया मगर विलन वही रहा, कुछ ऐसा जलवा था अभिनय का, जो रामी ने निभाया था।
ये फिल्म जब हिंदी में बनी तो तेलगु सुपरस्टार चिरंजीवी ने बॉलीवुड में अपने कदम रखे। हिंदी रीमेक फिल्म का नाम ‘प्रतिबन्ध’ रखा गया और रामी रेड्डी के किरदार को स्पॉट नाना का नाम दिया गया। इसके बाद साल १९९३ में आयी बॉलीवुड की फिल्म ‘वक़्त हमारा है में’, जिसमें उन्होंने सुनील शेट्टी और अक्षय कुमार जैसे अभिनेताओं के साथ काम किया था। इस फिल्म में कर्नल चिंकारा की भूमिका में रामी रेड्डी नज़र आये थे।
इनकी अगली फिल्म ‘आंदोलन’ साल १९९५ में आयी। इस फिल्म में गोविंदा और संजय दत्त जैसे दिग्गज अभिनेताओं के साथ रामी रेड्डी ने काम किया। इस फिल्म में दिलीप ताहिल, दीपक शिर्के और मोहन जोशी जैसे खलनायक भी थे, मगर दर्शकों को रामी रेड्डी द्वारा निभाया गया एक ही किरदार याद रहा था जिसका नाम बाबा नायक था।
ऐसी अदाकारी और सफलता का दौर चल ही रहा था कि रामी रेड्डी को एक बीमारी ने अपने काबू में कर लिया और बीमारी भी ऐसी कि जिसने उनको पहचान के काबिल भी नहीं छोड़ा था। पहले उन्हें लीवर का कैंसर हुआ तो उन्होंने अपने घर से बाहर निकलना ही बंद कर दिया। लीवर की बीमारी के बाद किडनी में खराबियां आयी। जिसके बाद उनकी तबियत बड़ी तेजी से गिरनी शुरू हो गयी।
अपने आखिरी दिनों में जब रामी रेड्डी एक तेलगु अवार्ड शो में नज़र आये तो उन्हें देखकर सारे लोग दंग रह गए और उन्हें पहचान ही नहीं पाये कि ये दुबला-पतला सा दिखने वाला आदमी, एक समय का खतरनाक विलन रामी रेड्डी है। अपने अंतिम समय में रामी रेड्डी महज हड्डियों का ढांचा बनकर रह गए थे।