नई दिल्ली : एक ओर जहां नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विपक्षी दल सड़कों पर उतरने को तैयार हैं, इस कानून की अधिसूचना जारी होने के बाद लगातार केंद्र सरकार पर निशाना भी साध रहे हैं, लगातर इसके विरोध में और इसको वापस लेने को लेकर अलग-अलग तरीके से वीडियो भी जारी किया जा रहा है। वहीं, भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने इस कानून को लेकर कहा है कि यह कानून पूर्णतः संवैधानिक है, इसे कभी वापस नहीं लिया जाएगा।
CAA को लेकर 2019 है आमने-सामने हैं पक्ष-विपक्ष
आपको बता दें नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पक्ष और विपक्ष वर्ष 2019 से ही आमने-सामने है। इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में विभाजन के वक्त से रह रहे अल्पसंख्यक हिंदू जो धार्मिक प्रताड़ना के चलते वापस भारत में आना चाहते हैं या भारत में शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं, उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी। हालांकि, यह नागरिकता केवल ऐसे लोगों को दी जाएगी जो 31 मार्च 2014 से पहले से भारत में रह रहे हैं या जिन्होंने भारत की नागरिकता के लिए अप्लाई किया है।
विपक्ष के कई नेता केंद्र सरकार पर साध रहे निशाना
नागरिकता संशोधन कानून की अधिसूचना जारी होने के बाद से ही विपक्ष के कई नेता जैसे ममता बनर्जी, स्टालिन, अरविंद केजरीवाल, ओवैसी इसको लेकर सरकार पर आक्रमण कर रहे हैं। एक ओर जहां ममता बनर्जी, स्टालिन और विजयन इस कानून को अपने-अपने राज्यों में लागू न करने की बात कह रहे हैं, तो वहीं अरविंद केजरीवाल हिंदू शरणार्थियों को पाकिस्तानियों का दर्जा देकर उनके द्वारा भारत में रह रहे हिंदुओं की जमीन और नौकरी छीनने की बात करते नजर आ रहे हैं।
CAA कानून संवैधानिक दृष्टि से पूर्णतः वैध-शाह
हालांकि, भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने आज अपने बयान में यह स्पष्ट किया है कि इस कानून को किसी भी सूरत में वापस नहीं लिया जाएगा। यह कानून संवैधानिक दृष्टि से पूर्णतः वैध है। इतना ही नहीं, शाह ने विपक्षी दल के नेताओं से इस बात को लेकर सवाल भी किया है। शाह ने उद्धव ठाकरे से पूछा है कि वह स्पष्ट करें कि वह इस कानून के समर्थन में है या नहीं या केवल तुष्टिकरण की राजनीति करना चाहते हैं।
कानून को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दिया स्टे
वहीं, शाह ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा कानून पर स्टे की बात को लेकर भी विपक्षी दलों के बयानों का खंडन किया। उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस कानून को लेकर कोई स्टे नहीं दिया है। आगे शाह ने बताया कि इस प्रक्रिया में लगभग 85 परसेंट वह लोग हैं, जिनके पास दस्तावेज पूर्ण रूप से उपलब्ध चला है, बाकी के बचे 15 परसेंट लोगों के लिए भी हम कोई-ना-कोई रास्ता जरूर निकाल लेंगे। यह कानून भारत की नागरिकता सुनिश्चित करने के लिए और भारत की संप्रभुता को बनाए रखने का कानून है। हम इसके साथ समझौता नहीं कर सकते।
विदेशी मीडिया से पूछें सवाल
विदेशी मीडिया द्वारा नागरिकता संशोधन कानून को लेकर चलाई जा रही खबरों पर शाह ने कहा की विदेशी मीडिया से पूछिए क्या उनके देश में तीन तलाक का कानून है। उनसे पूछिए क्या उनके देश में मुस्लिम पर्सनल लॉ है, उनसे पूछिए कि क्या उनके देश में अनुच्छेद 370 जैसा कोई प्रावधान है या नहीं?
पश्चिम बंगाल में सरकार बनाएगी भाजपा-शाह
अपनी इस चर्चा के दौरान अमित शाह ने ममता बनर्जी पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने ममता पर हिंदू और मुसलमान के बीच दरार पैदा करने का आरोप भी लगाया। शाह ने कहा कि मैं ममता बनर्जी से निवेदन करता हूं कि वह इस तरह की भ्रामक बातें फैला कर हिंदू और मुसलमान के बीच दरार ना पैदा करें। साथ ही शाह ने ममता को यह भी सुनिश्चित किया कि अब वह दिन दूर नहीं है जब बीजेपी पश्चिम बंगाल में अपनी सरकार बनाएगी और हो रही घुसपैठ को रोकेगी।
कानून में NCR का प्रावधान नहीं
शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि इस कानून में एनआरसी का कोई भी प्रावधान नहीं है, साथ ही इस कानून में डिटेंशन कैंप जैसी कोई बात भी नहीं है।
केवल केंद्र को है नागरिकता पर कानून बनाने का अधिकार
राज्य सरकारों द्वारा इसका विरोध किए जाने को लेकर शाह ने बताया की नागरिकता पर कानून बनाने का अधिकार केवल केंद्र को है केंद्र संसद के माध्यम से नागरिकता को लेकर कानून बनता है। इसमें सरकारों का किसी भी प्रकार से हस्तक्षेप नहीं रहता है।
मुसलमानों को भी नागरिकता के लिए आवेदन करने का अधिकार
मुसलमान को भारत की नागरिकता देने की बात पर शाह ने कहा CAA में मुसलमान को नागरिकता देने का प्रावधान नहीं है, क्योंकि यह केवल उन देशों के रह रहे हिंदुओं के लिए है जो अपने आप में मुस्लिम बाहुल्य देश हैं। यदि मुसलमान भारत में नागरिकता के लिए आवेदन करना चाहता है तो उसके पास संविधान में दिए गए बाकी और भी प्रावधान मौजूद हैं।