भोपाल : अपने बयानों को लेकर सुर्खियां बटोरने वाले सतना जिले के मैहर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने एक बार फिर पार्टी को असहज कर दिया है। विधायक ने आरोप लगाया है कि पटवारियों से लेकर शीर्ष अधिकारी तक बीजेपी उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल होने वाले नारायण त्रिपाठी ने बुधवार सुबह मैहर कस्बे में अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
उन्होंने कहा, मैं पहले भी कई बार कह चुका हूं कि चुनाव नहीं होने चाहिए। ‘जैसे राज्य विधानसभा में जहां ध्वनि मत से विधेयक पारित होते हैं, उसी प्रकार एक व्यवस्था होनी चाहिए कि ध्वनि मत के बाद विजेता का प्रमाण पत्र किसी विशेष दल को दिया जाए।’ बीजेपी विधायक ने बुधवार को अपने विधानसभा क्षेत्र में नगर निकाय चुनाव के दूसरे चरण के लिए मतदान किया।
त्रिपाठी ने आरोप लगाया, ‘मैं इस मतदान क्षेत्र का दौरा करता रहा हूं, ऐसा लगता है कि यहां चुनाव आयोग नहीं है। कोई भी अधिकारी जो राज्य सरकार के कर्मचारी हैं, पटवारियों से लेकर शीर्ष अधिकारियों तक- सभी को एक पार्टी विशेष के लिए प्रचार करते देखा गया। अधिकारी बीजेपी के लिए वोट बटोरने का काम कर रहे हैं।’ हालांकि उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि मैं बीजेपी के खिलाफ नही हूं।
नारायण ने सफाई में कहा, ‘मैं बीजेपी विधायक हूं। मगर जब मैं इस तरह की चीजें देखता हूं तो मुझे दुख होता है और परेशान हो जाता हूं। यहं जो हो रहा है वो गलत है, उसे बंद किया जाना चाहिए। आज इस देश में एक सरकार दो मिनट में बनती और दूसरी सरकार दो मिनट में गिर जाती है। पंचायती राज और नगर निकाय चुनाव में भी ऐसा हो रहा है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि सभी दलों के उम्मीदवार चुनाव लड़ते रहेंगे, लेकिन ‘कुछ उम्मीदवारों को जीत दिलाई जाती है।’
पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए। यदि मैहर में ऐसा होता है तो यह किसी के लिए भी अच्छा नहीं होगा। इस साल जनवरी में प्रदेश बीजेपी ने त्रिपाठी के समर्थकों को पार्टी की सतना इकाई से हटा दिया था। जुलाई 2019 में नारयण और उनके साथी बीजेपी विधायक शरद कोल ने विधानसभा में तत्कालीन कमलनाथ कांग्रेस सरकार के पक्ष में मतदान किया था, जिससे बीजेपी का खेमा स्तब्ध रह गया था।
पार्टी के खिलाफ बबयानबाजी करने वाले नारायण त्रिपाठी ने पहली बार 2003 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मैहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उन्होंने 2008 में फिर से समाजवादी उम्मीदवार के तौर पर यहां से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 2009 में, वह कांग्रेस में शामिल हो गए और 2013 में मैहर में जीत हासिल की। लेकिन 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले, उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गए।
त्रिपाठी ने बुधवार को यह भी कहा कि जब कोई गरीब उम्मीदवार चुनाव लड़ता है और अपना सारा पैसा धोती बांटने में खर्च कर देता है तो उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है। लेकिन यह नियम अमीर और प्रभावशाली उम्मीदवारों पर लागू नहीं होता है। त्रिपाठी के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए, कांग्रेस मीडिया सेल के प्रमुख केके मिश्रा ने कहा, ‘बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने पार्टी का पर्दाफाश किया है और साबित किया है कि कांग्रेस के आरोप सही हैं। उनकी भावनाओं से पता चलता है कि बीजेपी की प्राथमिकता पैसे, पुलिस और प्रशासन का दुरुपयोग कर जनादेश हासिल करना है। हम लंबे समय से जो आरोप लगा रहे थे, उसका खुलासा अब बीजेपी विधायक ने कर दिया है।’
वहीं प्रदेश बीजेपी का कहना है कि नारायण त्रिपाठी के आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। बीजेपी के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ हितेश वाजपेयी ने कहा, ‘मैहर विधायक बेतुकी बात कर रहे हैं। वह जो आरोप लगा रहे हैं वह राजनीति से प्रेरित हो सकते हैं। यह मामला पहले से ही वरिष्ठ नेताओं के संज्ञान में है।’ बीजेपी विधायक ने दावा किया है कि सरकारी अधिकारी पार्टी के लिए प्रचार कर रहे हैं।