ये कहानी है ६० के दशक की खूबसूरत अभिनेत्रियों में से एक अभिनेत्री की, जिसका नाम विमी है। अफ़सोस की बात यह है कि इस खूबसूरत अदाकारा ने महज ३३ साल की उम्र में इस दुनिया को छोड़ दिया था। साल १९४३ में जालंधर, पंजाब में जन्मी विमी को बचपन से ही एक्टिंग का बहुत शौक था। मगर पहले उन्होंने अपनी पढाई पूरी की और पढाई पूरी करने के बाद वह शादी के बंधन में बंध गयी। विमी ने कोलकाता के एक कारोबारी शिव अग्रवाल के साथ शादी की थी।
एक पार्टी के दौरान विमी की मुलाकात संगीतकार रवि के साथ हुई थी, जिसने उन्हें मुंबई बुलाया था और मुंबई आते ही विमी की किस्मत खुल गयी। उस समय के जाने-माने निर्माता-निर्देशक बीआर चोपड़ा ने उन्हें अपनी फिल्म ‘हमराज’ का ऑफर दे दिया। अपनी पहली ही फिल्म में विमी ने सुनील दत्त और राजकुमार जैसे बड़े कलाकारों के साथ काम किया। यह फिल्म बेहद कामयाब रही और विमी रातों-रात मशहूर हो गयी। विमी के पति एक कोलकाता के बड़े व्यापारी थे और उनके पास पैसों की कोई कमी नहीं थी। फ़िल्में वे केवल अपना शौक पूरा करने के लिए करती थी।
जैसा की आप सब भी जानते है कि फिल्मों में सफलता को बनाये रखना बेहद मुश्किल होता है। फिल्मों के अलावा विमी की निजी जिंदगी भी थी, जिसमें कुछ समय बाद दरार आ गयी और बात तलाक पर आकर ख़त्म हो गयी। अपने पति से लव मैरिज करने की वजह से विमी के मां और पिता ने भी उनसे रिश्ता तोड़ लिया था। विमी अकेली पड़ गयी और फिल्मों की नाकामयाबी की वजह से उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा और उन्होंने शराब पीना शुरू कर दिया।
ऐसे में विमी को सहारे की जरुरत थी तो उन्होंने फिल्मों में काम दिलाने वाले एक ब्रोकर जॉली से दोस्ती कर ली थी, जॉली की कोशिशों के बावजूद उन्हें फिल्मों में काम नहीं मिला और इसी वजह से विमी बिलकुल टूट गयी और पहले से ज्यादा शराब पीने लगी और वो भी बेहद सस्ती शराब। जिसकी वजह से विमी के लीवर ने भी काम करना बंद कर दिया।
२२ अगस्त १९७७ के दिन आखिरकार विमी ने नानावटी अस्पताल के जनरल वार्ड में अपनी जिंदगी की आखिरी सांस ली। दुःख की बात तो ये थी कि विमी की मौत के बाद उनके शव को कांधा देने वाला भी कोई नहीं था और जिस रास्ते पर एक समय विमी अपनी आलिशान गाड़ियों में घुमा करती थी, उसी रास्ते से उनके शव को एक ठेले पर रखकर शमशान तक ले जाया गया और अग्नि के हवाले कर दिया गया था।