भोपाल : मध्य प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में कई पद खाली पड़े हुए हैं। इसी को देखते हुए अब वर्षों से अतिथि विद्वान के रूप में सेवा दे रहे विद्वानों ने नए साल में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का विचार बना लिया है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि सरकार ने गवर्नमेंट यूनिवर्सिटी में सहायक अध्यापक भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला है जिस वजह से एक बार फिर अतिथि विद्वान बेरोजगारी का सामना करेंगे। सरकार द्वारा निकाली गई भर्ती तो कुछ अतिथि विद्वान भर भी नहीं सकेंगे क्योंकि उनकी उम्र 50 वर्ष से ऊपर की हो गई है। इससे पहले भी अतिथि विद्वानों ने पीएससी के विरोध में आंदोलन किया था। उस समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नियमितीकरण का वादा किया था। इसी को लेकर अब अतिथि विद्वान महासंघ की प्रतिक्रिया सामने आई है।
महासंघ के डॉ देवराज सिंह का कहना है कि सरकार अतिथि विद्वानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना बंद कर दें, बीजेपी पार्टी और इससे जुड़े नेता झूठ कैसे बोल रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अतिथि विद्वानों के मुद्दे के दम पर ही सत्ता में आए हैं और नियमितीकरण का वादा भी कर चुके हैं तो अब पीएससी क्यों हो रही है। हम पीएसी का विरोध करेंगे क्योंकि 2017 में हुई परीक्षा का विवाद आज तक खत्म नहीं हुआ जिसमें कई घोटाले किए गए थे।
अतिथि विद्वानों का सरकार से सवाल
अतिथि विद्वानों ने सरकार के सामने सवाल भी खड़ा किया है। महासंघ के मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडे ने सवाल करते हुए पूछा कि महाविद्यालय में सेवा दे रहे अतिथि विद्वान जो मध्यप्रदेश के मूल निवासी हैं और उन्हें 25 से 26 वर्ष का अनुभव भी है और यूजीसी योग्यता प्राप्त भी है फिर पीएससी के माध्यम से सहायक अध्यापक की भर्ती क्यों की जा रही है? महासंघ की ओर से प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई है जिसमें कहा गया है कि क्या सीएम शिवराज अपना वादा भूल चुके हैं। बीजेपी की सरकार और उनके मंत्री अपने वादे से मुकर रहे हैं, जिन्होंने विपक्ष में रहते हुए यह कहा था कि सरकार बनने के साथ अतिथि विद्वानों को नियमित किया जाएगा। संघ का कहना है कि नियमितीकरण तो दूर लेकिन अब हमें बेरोजगार करने की तैयारी की जा रही है। अगर सरकार को पीएसी से भर्ती करवाना है तो पहले अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण किया जाए नहीं तो बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।