होली के लिए मशहूर एमपी का इंदौर शहर, रंगों की वर्षा में लाखों लोग होते हैं इकट्ठा…

इंदौर : मध्य प्रदेश का दिल इंदौर शहर होली के लिए मशहूर है। यहां हर साल धूमधाम से होली का त्यौहार मनाया जाता है। इस बार होली का त्यौहार 7 और 8 मार्च को मनाया जाएगा। शहर में रंगों के त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाने की परंपरा है। लेकिन सबसे ज्यादा यहां रंगपंची की धूम देखने को मिलती हैं। रंग पंचमी के दिन यहां लाखों लोग इक्कठा होते हैं। रंगपंचमी के दिन निकलने वाली गैर में रंगों की वर्षा के साथ यहां नाच गाने होते है जिसमें लोग खूब एन्जॉय करते हैं। सिर्फ इंदौर ही नहीं बाहर से भी लोग इस गैर में शामिल होने आते हैं।

यहां निकलने वाली गैर सालों से निकल रही है। इसका भी इतिहास है जिससे सब वाकिफ है। इंदौर की गैर पूरे देश में सबसे अनोखी है। साल भर लोग इस गैर में शामिल होने का इन्तेजार करते हैं। पिचकारी और वाटर टैंकर इस गैर में लोग एक दूसरे पर रंग और पानी डालते हैं। इंदौर रंगों में नहाया हुआ नजर आता है। इस बार इंदौर में 12 मार्च को गैर निकाली जाएगी। उम्मीद लगाई जा रही है कि इस बार करीब 5 लाख से ज्यादा लोग इस गैर में शामिल हो सकते हैं।

इंदौर रंग पंचमी गैर का इतिहास –

दशकों से गैर निकालने की परंपरा है। इसकी शुरुआत होल्कर वंश ने की थी। पहले के समय में रंगपंचमी के दिन राजघराने के लोग रथों और बैलगाड़ियों से निकल कर फूलों से तैयार रंग और गुलाल से होली खेलते थे। ऐसे में उन्हें जो भी रास्ते में मिलता था वह उसे रंग लगा दिया करते थे। ऐसे में धीरे धीरे ये परंपरा शुरू हुई और हर साल रंगपंचमी के दिन गैर निकाली जाती है जिसमें बड़े बड़े टेंकर, गुलाल, फूलों की वर्षा की जाती है।

राजघराने द्वारा शुरू किए गए इस परंपरा का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों के साथ मिलकर होली खेलना था। ऐसे में आज भी रंगपंचमी के दिन इंदौर में हर एक इंसान एक दूसरे को रंग लगा कर बधाई देता है और कहता है बुरा ना मनो होली है। खास बात ये है कि इंदौर की गैर को यूनेस्को की धरोहर में भी जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। 68 साल से रंगपंचमी पर गेर निकाल रहे हैं। कोरोना की वजह से ये गैर यूनेस्को की धरोहर में शामिल नहीं हो पाई लेकिन अभी एक बार फिर इसको लेकर प्रयास जारी है।

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