इंदौर : मध्य प्रदेश का दिल इंदौर शहर होली के लिए मशहूर है। इंदौर में रंगों के त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाने की परंपरा है। रंग पंचमी के दिन यहां लाखों लोग गैर में शामिल होने के लिए इक्कठा होते हैं। रंगपंचमी के दिन निकलने वाली गैर में रंगों की वर्षा के साथ यहां नाच गाने होते है जिसमें लोग खूब एन्जॉय करते हैं। सिर्फ इंदौर ही नहीं बाहर से भी लोग इस गैर में शामिल होने आते हैं। यहां निकलने वाली गैर सालों से निकल रही है। साल भर लोग इस गैर में शामिल होने का इंतजार करते हैं।
रंगपंचमी गैर : वर्ल्ड हेरिटेज में दर्ज दिलवाने का प्रयास
इस बार निकलने वाली गैर की पूरी तैयारियां कर ली गई है। मेयर इन कौंसिल की बैठक भी की जा चुकी हैं। ऐसे में इस बार निकलने वाली गैर को वर्ल्ड हेरिटेज में दर्जा दिलवाने के साथ परंपरा को आगे बढ़ाने का प्रयास जोरों शोरों से किया जा रहा है। उम्मीद लगाई जा रही है कि इस बार करीब 5 लाख से ज्यादा लोग इस गैर में शामिल हो सकते हैं। क्योंकि रंगपंचमी के दिन संडे है।
निगम की आकर्षित संदेश वाली झाकियां
इसके अलावा गैर में इस बार नगर निगम की सन्देश वाली झांकी निकाली जाएगी। जो लोगों के आकर्षण का केंद्र होगी। बैठक में ये भी आदेश दिया गया है कि रंग पंचमी के दिन मार्ग का मौका निरीक्षण करके, निगम स्तर से किए जाने वाले कामों को पूरा किया जाए। स्मार्ट सिटी योजना के तहत राजबाडा, गोपाल मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्रों में नवनीकरण का कार्य किया गया है ऐसे में रंगो व पानी से बचाव के लिए पर्याप्त रूप से कवर करने करने के निर्देश भी दिए गए है।
रंगपंचमी गैर का इतिहास –
दशकों से गैर निकालने की परंपरा है। इसकी शुरुआत होल्कर वंश ने की थी। पहले के समय में रंगपंचमी के दिन राजघराने के लोग रथों और बैलगाड़ियों से निकल कर फूलों से तैयार रंग और गुलाल से होली खेलते थे। ऐसे में उन्हें जो भी रास्ते में मिलता था वह उसे रंग लगा दिया करते थे। ऐसे में धीरे धीरे ये परंपरा शुरू हुई और हर साल रंगपंचमी के दिन गैर निकाली जाती है जिसमें बड़े बड़े टेंकर, गुलाल, फूलों की वर्षा की जाती है।
राजघराने द्वारा शुरू किए गए इस परंपरा का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों के साथ मिलकर होली खेलना था। ऐसे में आज भी रंगपंचमी के दिन इंदौर में हर एक इंसान एक दूसरे को रंग लगा कर बधाई देता है और कहता है बुरा ना मनो होली है। खास बात ये है कि इंदौर की गैर को यूनेस्को की धरोहर में भी जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। 68 साल से रंगपंचमी पर गेर निकाल रहे हैं। कोरोना की वजह से ये गैर यूनेस्को की धरोहर में शामिल नहीं हो पाई लेकिन अभी एक बार फिर इसको लेकर प्रयास जारी है।