भोपाल : मध्य प्रदेश के उद्योगों को बढ़ावा देने, नए उद्योग लगाने और प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव आयोजित कर रहे हैं, अभी तक हुई चारों कॉन्क्लेव जबलपुर, उज्जैन, ग्वालियर और सागर बहुत सफल रहीं, इसमें बड़े उद्योगों के साथ साथ MSME सेकर में भी निवेशकों एन रुचि दिखाई, इन कॉन्क्लेव में जहाँ हजारों करोड़ का निवेश के प्रस्ताव मिले वहीं बड़ी संख्या में रोजगार मिलने के आसार बढ़े, अब सीएम डॉ मोहन यादव ने MSME सेक्टर के लिए कुछ अलग करने की प्लानिंग की है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम जैसे ही अन्य विभागों से जुड़े छोटे-छोटे लघु उद्योगों के विकास की सुविधाजनक योजनाओं को युक्ति-संगत बनाकर एक ही छत के नीचे लाया जाये। उन्होंने निवेशकों के मध्य प्रदेश में उद्योग लगाने के रुख के दृष्टिगत स्किल्स बैंक बनाने के निर्देश भी दिये, जिससे उद्योगों को एक साथ वर्कर फोर्स मिल सके।
उद्यमियों की समस्याओं का त्वरित निराकरण करने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने ये निर्देश MSME विभाग की समीक्षा बैठक में दिए, बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि हाल ही में राजधानी भोपाल के निकट रायसेन जिले में स्थित औद्योगिक केंद्र मंडीदीप गए थे, तब उन्हें उद्यमियों ने औद्योगिक क्षेत्र की समस्याओं की जानकारी दी थी। उद्यामियों ने यह भी बताया था कि उन्होंने मंडीदीप में कुछ आंतरिक सड़क मार्गों का निर्माण अपनी ओर से करवाया है। इसलिए अब आगे से उद्योग विभाग और सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम विभाग उद्यमियों की समस्याओं का त्वरित निराकरण करें।
ग्वालियर और उज्जैन के अलावा अन्य शहरों में भी हो व्यापार मेलों का आयोजन
सीएम डॉ यादव ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र में उद्यमियों के लिए औद्योगिक संस्थानों में भूमि विकास के साथ ही सीवरेज व्यवस्था, पेयजल व्यवस्था और अन्य बुनियादी सुविधाओं को दिलवाना सुनिश्चित किया जाए। उद्योग से जुड़ी समस्याओं को तत्परता से हल करने के लिए उद्योग से जुड़े सभी विभाग को ही मार्ग निकालना है। इसके लिए उद्योग विभाग नेतृत्वकारी भूमिका निभाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि विभिन्न व्यापार मेले अर्थ व्यवस्था की गति को रफ्तार प्रदान करते हैं। ग्वालियर और उज्जैन के व्यापार मेलों की तर्ज पर अन्य नगरों में भी व्यापार मेले और उत्सव आयोजित किए जाएं।
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स्किल्स बैंक से वर्कर फोर्स उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी
- मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्यमियों को आवश्यक अनुमतियां प्रदान करने के लिए भी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग द्वारा निरंतर समीक्षा की जाए। छोटे उद्योगों और छोटे उद्यमियों के प्रोत्साहन के लिए विभाग के वरिष्ठ अधिकारी साप्ताहिक रूप से समीक्षा बैठक करें।
- जिन जिलों में पावरलूम सेक्टर में विकास की संभावना है वहां आवश्यक सुविधा उपलब्ध करवायें।
- विभिन्न विभागों के समान स्वरूप के छोटे छोटे लघु उद्यमों को एक ही छत के नीचे लाया जाए। विभाग विशेष द्वारा दी जा रही सब्सिडी और सुविधाएं देने में भी एकरूपता की नीति लागू कर सकते हैं।
- विभाग सभी योजनाओं को एक जैसा बनाएं। स्किल्स बैंक बनाएं जिसमें सभी ट्रेड के हुनरमंद या प्रशिक्षित फोर्स को समाहित करें, इससे उद्योगों को वर्कर फोर्स उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।
ग्वालियर और उज्जैन व्यापार मेलों से हुआ साढ़े चार हजार करोड़ से अधिक का व्यापार
बैठक में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग की ओर से प्रजेंटेशन में बताया गया कि इस वर्ष ग्वालियर व्यापार मेले में 1800 करोड़ से अधिक का व्यापार हुआ। उज्जैयिनी विक्रम व्यापार मेले में 2765.25 करोड़ रुपए का व्यापार हुआ। महिला उद्यमी सम्मेलन भोपाल में 700 से अधिक महिला उद्यमियों ने हिस्सा लिया। लघु उद्योग भारती देवास इंडस्ट्रियल कानक्लेव में भी एमएसएमई विभाग ने भूमिका निभाई। पावरलूम के साथ ही गारमेंट्स ,टैक्सटाइल, फार्मा फर्नीचर और फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में विशेष कार्य प्रारंभ किया गया है। एमएसएमई सेक्टर में कुल 850 इकाइयों को 275 करोड़ रुपए की अनुदान राशि गत अगस्त माह में प्रदान की गई है।
प्रदेश में कुल साढे चार हजार स्टार्टअप और 70 इनक्यूबेटर स्थापित
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में स्टार्टअप को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। कुल 2168 स्टार्टअप महिलाओं द्वारा संचालित हैं। प्रदेश में कुल साढे चार हजार स्टार्टअप और 70 इनक्यूबेटर स्थापित किए गए हैं। भोपाल में स्टार्टअप केंद्र की स्थापना की गई है। गत दो वर्ष में अधिमान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या में 150 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।भारत सरकार की स्टार्टअप रैंकिंग में प्रदेश को लीडर श्रेणी में स्थान मिला है। अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स से अनुबंध किया गया है जिससे राज्य शासन ने 2.25 करोड़ निवेश किया है। इससे प्रदेश के तीन स्टार्टअप के लिए 11 करोड़ रुपए का निवेश प्राप्त किया गया है। मध्य प्रदेश में शासकीय भूमि पर निजी विकासक द्वारा 11 क्लस्टर स्वीकृत किए गए। निजी भूमि पर 24 क्लस्टर स्वीकृत हुए हैं जिनमें 2100 से अधिक भू-खण्ड होंगे। प्रदेश के 5 नवीन औद्योगिक क्षेत्र में 291 भू-खण्ड और 6 औद्योगिक क्षेत्रों का उन्नयन किया जाएगा।