अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन 2023 : राष्ट्रपति ने कहा ‘धर्म की आधारशिला पर टिकी है मानवता’

भोपाल : राजधानी भोपाल में शुक्रवार को 7वें अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन -2023 का शुभारंभ महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा किया गया। सम्मेलन में राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने भी सहभागिता की। कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में 7वें सम्मेलन उद्घाट करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि स्वतंत्रता मिलने के बाद हमने जो लोकतांत्रिक व्यवस्था अपनाई उस पर धर्म धम्म का गहरा प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। उन्होने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय धर्म धम्म सम्मेलन का आयोजन करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार, सांची यूनिवर्सिटी ऑफ बुद्धिस्ट इंडिक स्टडीज तथा इंडिया फाउंडेशन की मैं सराहना करती हूं।

“धार्यते अनेन इति धर्म:”

महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने अपने उद्बोधन में कहा कि ‘मुझे यह देखकर गर्व होता है कि हमारे देश की परंपरा में धर्म को, समाज व्यवस्था और राजनीतिक कार्यकलापों में, प्राचीन काल से ही केंद्रीय स्थान प्राप्त है। हमारे राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न को सारनाथ के अशोक स्तंभ से लिया गया है। राष्ट्रीय ध्वज में भी धर्म चक्र सुशोभित है। राग द्वेष से मुक्त होकर मैत्री, करुणा और अहिंसा की भावना से व्यक्ति और समाज का विकास करना, पूर्व के मानववाद का प्रमुख संदेश रहा है। धर्म-धम्म की अवधारणा, भारतीय चेतना का मूल स्वर रही है। हमारी परंपरा में कहा गया है, “धार्यते अनेन इति धर्म:” अर्थात जो सबको धारण करता है, यानी आधार देता है, वह धर्म है। धर्म की आधारशिला पर ही पूरी मानवता टिकी हुई है।’

‘गौतम बुद्ध ने दिखाया शांति का मार्ग’

इस अवसर पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि ‘हिंसा और युद्ध से कराहते विश्व के लिए भगवान गौतम बुद्ध एक समाधान हैं। देश के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश में ‘बौद्ध परिभ्रमण पथ’ भगवन बुद्ध की उन्हीं शिक्षाओं को प्रसारित करने वाले केंद्र के रूप में स्थापित है। देश के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश में ‘बौद्ध परिभ्रमण पथ’ भगवन बुद्ध की उन्हीं शिक्षाओं को प्रसारित करने वाले केंद्र के रूप में स्थापित है। हमारे देश की परपंरा विश्व शांति और मानव जाति के कल्याण में विश्वास रखती है। भारतीय दर्शन की मान्यता है कि विश्व सब के लिए है और युद्ध की कोई आवश्यकता नहीं है।’

सीएम ने कहा ‘लोककल्याण हमारा मूल चिंतन’

सीएम शिवराज ने सम्मेलन के शुभारंभ के लिए पधारीं महामहिम राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि 7वें धर्म धम्म सम्मेलन का आयोजन मध्यप्रदेश की धरती पर हो रहा है। उन्होने कहा ‘भारत का मूल चिंतन विश्व बंधुत्व और लोककल्याण का है। भारत के गाँव-गाँव में बच्चा-बच्चा यह उद्घोष करता है कि ‘धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो। हमारा मानना है कि यह सारा विश्व ही एक परिवार है। हमने पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों में एक ही चेतना को देखा। इसीलिए नदियाँ हमारे लिए माता हैं, पेड़ पूजनीय हैं। धर्म धम्म का पहला सिद्धांत सभी जीवों के साथ दया और सम्मान के साथ व्यवहार करना है। एक ही चेतना समस्त जड़ और चेतन में विद्यमान है, यही भारत का मूल चिंतन है। इसीलिए भारत में कहा गया कि “सियाराम मय सब जग जानी।” भगवान बुद्ध ने कहा कि ‘युद्ध नहीं शांति, घृणा नहीं प्रेम, संघर्ष नहीं समन्वय, शत्रुता नहीं मित्रता’ और यही वो मार्ग है जो भौतिकता की अग्नि में दग्ध विश्व मानवता को शांति का दिग्दर्शन कराएगा।  मुझे पूरा विश्वास है कि इस चिंतन से जो अमृत निकलेगा, वह दुनिया को शाश्वत शांति के पथ का दिग्दर्शन कराने में सहायक सिद्ध होगा।’ सम्मेलन में ‘द पेनारोमा ऑफ इंडियन फिलोसफर्स एंड थिंकर्स’ पुस्तक का विमोचन भी हुआ।

Leave a Reply