ज्योतिरादित्य सिंधिया एक ऐसे नेता हैं जो सत्ता के लालच के कारण कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुये हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया सुविधाभोगी हैं जो विपक्ष के रूप में संघर्ष नहीं कर सकते हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी तब सामने आयी जब ज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह कमलनाथ को मुख्यमंत्री बना दिया गया। ज्योतिरादित्य सिंधिया का गुस्सा ऐसा फूटा की चंद रुपयों के लिये महाराज ने खुद के जमीर को बेच कर बागी बन गये और भाजपा का हाथ पकड़ लिया।
आज सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया जब तक कांग्रेस के साथ थे, जनता से लेकर पार्टी के सभी कार्यकर्ता उनका मान और सम्मान करते थे, लेकिन जब से उन्होंने बीजेपी का दामन थामा है, तब से लोग उन्हें नजरअंदाज करते हैं और पार्टी में भी उनका सम्मान कम हो गया है।
आज जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर आते हैं, तो उनके स्वागत के लिए केवल गिने-चुने लोग ही उपस्थित होते हैं। लेकिन जब वह कांग्रेस में थे तो उनका भव्य स्वागत किया जाता था।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने जिन समर्थकों के साथ कांग्रेस से किनारा किया था वे सत्ता के भागीदार तो बने लेकिन संगठन में उनके समर्थकों को न के बराबर जगह मिली है। यानी भाजपा ने भी साफ संदेश दे दिया है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक सत्ता के साथी हो तो सकते हैं लेकिन संगठन में भाजपा की विचारधारा में पले-बढ़े और परिपक्व हुए कार्यकर्ताओं को ही प्राथमिकता मिलेगी।