नई दिल्ली : भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक के बाद एक अपने कदम बढ़ाता जा रहा है। चंद्रमा पर कदम रखने के बाद अब हम सूर्य का अध्ययन करने के लिए भी तैयार हैं। इसी के लिए ISRO ने आज अपना पहला आदित्य एल 1 मिशन लॉन्च कर दिया है। इस लॉन्चिंग के साथ भारत की गिनती उन देशों में होने लगी है, जिन्होंने चांद और सूरज की तरफ कदम बढ़ाए हैं।
रॉकेट पीएसएलवी के आदित्य को पृथ्वी की निचली कक्षा में छोड़ने के बाद 63 मिनट 19 सेकंड में आदित्य ऑर्बिट में एंट्री लेगा और 4 महीने का सफर तय करने के बाद लैगरेंज पॉइंट यानी L1 पर पहुंचेगा।
सूर्य की ओर भारत के कदम
50 दिनों के अंदर यह भारत की अंतरिक्ष में दूसरी उड़ान है, जो अब सीधा सूर्य तक जाने को तैयार है। आज सुबह 11:50 पर आदित्य एल 1 मिशन को अंजाम दिया गया। यह सूर्य पर नहीं जा रहा है बल्कि उसके L1 पॉइंट पर जा रहा है, ये वहां से सूर्य की किरणों का अध्ययन करेगा। इस दौरान ये लगातार 4 महीने तक उड़ान भरेगा और 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा। लॉन्चिंग के 125 दिन बाद ये अपने टारगेट पर पहुंच पाएगा।
सूर्य मिशन का उद्देश्य
सौर आंधियों और चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करने के लिए भारत इस मिशन को लांच कर रहा है। सौरमंडल का ऊपरी वातावरण कैसा रहता ये पता लगाने के साथ सूर्य की बाहरी परत की स्टडी की जाएगी। फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर की जानकारी जुटाने के साथ स्पेस के मौसम के विषय में भी जानकारी इकट्ठा की जाएगी।
मिशन से क्या फायदा
भारत का यह सूर्य मिशन काफी महत्वपूर्ण साबित होने वाला है क्योंकि इससे सौरमंडल के बारे में कई बातों का पता लगाया जा सकेगा। गैलेक्सी में जो तारे हैं उनके बारे में कई बातें पता लगेगी इसके अलावा स्पेसक्राफ्ट और अनजान खतरों से बचने के रास्ते भी मिलेंगे। सौर ऊर्जा कितनी ताकतवर है इसका पता लगाया जा सकेगा और खतरा आने से पहले ही वार्निंग मिल जाएगी। सूर्य की किरणों से ओजोन परत पर पड़ने वाले असर और पराबैगनी किरणों के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी।