जबलपुर : PWD मंत्री जी इन अधिकारियों पर तो FIR होनी चाहिए, यह तो भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा है…

भोपाल : पिछले काफी लंबे समय से निर्माण के चलते मुसीबत का सबब बने जबलपुर फ्लाईओवर के निर्माण में भारी अनियमितता सामने आई है। निर्माण के पहले ही सड़क चटकने लगी है। सरकार के ध्यान में आते ही इस पूरे मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई है जो राज्य स्तर से जाकर इस मामले का परीक्षण कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करेगी।

मदन महल से महानदा एक लाइन तो दूसरी दमोह नाका तक जाएगी

जबलपुर में पिछले काफी लंबे समय से फ्लाईओवर का निर्माण चल रहा है। 800 करोड रुपए की लागत से बनने वाले इस फ्लाईओवर से मदन महल से लेकर महानदा तक एक लाइन जाएगी और दूसरी लाइन दमोह नाका पर उतरेगी। 4 साल पहले शुरू हुए इस निर्माण कार्य में अब तक महानदा लाइन शुरू हो चुकी है लेकिन दमोह नाका लाइन का काम अभी तक अधूरा है।

PWD चीफ़ इंजीनियर की मनमर्ज़ी से हुआ काम

हैरत की बात यह है, कि पीडब्ल्यूडी में ब्रिज डिपार्टमेंट अलग से है लेकिन इस निर्माण की जिम्मेदारी एक चीफ इंजीनियर के मनमर्जी के चलते बिल्डिंग एंड रोड डिपार्टमेंट को दे दी गई। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब ब्रिज डिपार्टमेंट फ्लाईओवर निर्माण में पारंगत है तो इसे ब्रिज और रोड डिपार्टमेंट को क्यों दिया गया।

अधिकारियों को नहीं PWD मंत्री का डर!

इस पूरे मामले में सबसे बड़ी बात यह भी है कि पीडब्ल्यूडी के मंत्री राकेश सिंह है जो की जबलपुर के ही निवासी हैं और उनकी नाक के तले ही निर्माण कार्यों में इस तरह का भ्रष्टाचार अपने आप में कई सवाल पैदा करता है।

मामले में बनाई गई जांच कमेटी, 15 दिन में आएगी रिपोर्ट

हालांकि मामला संज्ञान में आते ही भोपाल स्तर से एक जांच कमेटी बनाई गई है जो जाकर पूरे मामले की जांच करेगी और 15 दिन के भीतर राज्य सरकार को रिपोर्ट करेगी। अब देखना यह है कि जांच कमेटी की सिफारिश पर सरकार किस तरह से अमल करती है क्योंकि अब तक इस तरह की ज्यादातर मामलों में लीपा पोती ही की जाती है और भ्रष्टाचारी एक बार फिर कानून के शिकंजे से बच निकलते हैं।

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