भोपाल : अभय राठौर की पत्नी ने जिला कोर्ट में एक एफिडेविट दायर किया है। दरअसल शपथ पत्र में घोटाले में निगम के उच्च स्तरीय अधिकारियों के नामों का उल्लेख किया गया है। इसके साथ ही, उन्होंने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों और थाना टीआई के खिलाफ भी आरोप लगाया है कि उन्होंने उनके पति अभय राठौर को षड़यंत्रकारी घोटाले का मास्टरमाइंड बनाया है। इसके साथ ही यह भी आरोप लगाया है कि, घोटाले की फाइलों और बिलों पर तत्कालीन निगम कमिश्नर और अपर कमिश्नर के सुपरविजन में करोड़ों के बिलों को मंजूरी दी गई।
जानिए मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का क्या है कहना?
वहीं इस मामले को लेकर कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि “अभय राठौर की पत्नी ने कोर्ट में जो एफिडेबिट दिया है, उसमें पवन शर्मा का नाम नहीं है पर हाँ, बाकी दो तीन अधिकारियों के नाम हैं। मैं सरकार की और से सभी लोगों को यह वादा करना चाहूंगा कि कोई कितना भी प्रभावशाली हो यदि उसने भ्रष्टाचार किया है, तो कड़ी सजा दी जाएगी।”
जनता का पैसा नहीं होगा भ्रष्टाचार में इस्तेमाल:
दरअसल इस घोटाले को लेकर नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि, नगर निगम में जो भ्रष्टाचार हुआ है ये पैसा इंदौर की जनता का पैसा है, इंदौर की जनता ने इसे जल कर के माध्यम से संपत्ति कर के माध्यम से इंदौर के खजाने में जमा किया है इंदौर की जनता का पैसा अगर, इस प्रकार भ्रष्टाचार में लगाया जाएगा तो निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।
शपथ पत्र को लेकर बोले मंत्री कैलाश विजयवर्गीय:
वहीं इस दौरान मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भरोसा दिलाया की इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं शपथ पत्र को लेकर किए गए सवाल पर कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि “शपथ पत्र को लेकर भी जांच की जाएगी, पत्र को एकदम पक्का प्रूफ नहीं मान सकते है। ऐडवोकेट का मैंने बयान भी पढ़ा है और सुना है उनका वीडियो जारी हुआ है, ज़रा सी भी किसी की गलती होगी चाहे वह कोई अधिकारी ही हो उसके खिलाफ़ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
जानिए क्या है मामला?
दरअसल नगर निगम में हुए फर्जी बिल घोटाले में गिरफ्तार आरोपी अभय राठौर की पत्नी ने कोर्ट के समक्ष शपथ पत्र पेश किया। जिसमें अभय राठौर की पत्नी ने नगर निगम के इस घोटाले में निगम में उच्च पदों पर रहे अधिकारियों के नामों का जिक्र किया है उन्होंने निगम के पूर्व बड़े अफसरों के अलावा पुलिस के अफसर व थाना प्रभारी एमजी रोड पर भी आरोप लगाए हैं, कि घोटाला इन अधिकारीयों की शह पर हुआ है, लेकिन मामले में सिर्फ अभय राठौर को ही आरोपी बनाकर पेश किया गया है। इसीलिए इसकी निष्पक्ष जांच की जाना चाहिए।