नई दिल्ली : साल 2014 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस का ग्राफ दिनों-दिन गिरता चला गया। पार्टी उसके बाद 2019 का भी लोकसभा चुनाव बड़े अंतर से हार गई, जिसके बाद अब सिर्फ दो राज्यों- राजस्थान और छत्तीसगढ़- में ही सरकारें बची हुई हैं। पिछले कई चुनावों में हुई कांग्रेस की हार और बीजेपी की जीत में एक प्रमुख वजह खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहे हैं।
पीएम मोदी की लोकप्रियता किसी से छिपी हुई नहीं है। एक गरीब परिवार में जन्म लिया, जहां उनके पिता दामोदर दास मोदी रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते थे। पीएम मोदी और बीजेपी ने कई चुनावी रैलियों में इसका जिक्र भी किया और कहा कि यह बीजेपी में ही संभव है कि कोई गरीब परिवार का बेटा पीएम बन जाए। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी पर इसको लेकर हमले भी होते रहे हैं। लेकिन अब लगता है कांग्रेस को इसकी काट मिल गई है। दरअसल, कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को एक ऐसा बयान दिया, जिसके बाद कहा जा रहा है कि कांग्रेस आने वाले समय में बीजेपी की ही पिच पर खेलकर उसे जवाब देने जा रही है।
खड़गे ने खुद को बताया मजदूर का बेटा
कांग्रेस अध्यक्ष का औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण करने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने खुद को मजूदर का बेटा बताया। खड़गे ने निर्वाचन पत्र सौंपे जाने के बाद कहा कि यह उनके लिए एक भावुक पल है और वह एक मजदूर के बेटे एवं साधारण कार्यकर्ता को पार्टी का अध्यक्ष बनाने के लिए कांग्रेस के नेताओं का आभार व्यक्त करते हैं। खड़गे के इस बयान को राजनीतिक एक्सपर्ट्स काफी अहम मान रहे हैं। यह पहली बार नहीं है, जब खड़गे ने खुद को मजदूर का बेटा बताया हो। दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने के बाद भी उन्होंने ऐसा ही बयान दिया था। एक्सपर्ट्स की मानें तो खड़गे इस बयान के जरिए कांग्रेस की उस छवि को तोड़ना चाहेंगे, जिसके तहत यह कहा जाता रहा है कि पार्टी में ऐसे नेताओं की संख्या अधिक है, जोकि बड़े परिवारों से आते हैं। परिवारवाद के आरोपों पर गांधी परिवार से लेकर अन्य कई नेता घिरते रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के नए अध्यक्ष का यह बयान जनता के बीच यह मैसेज देने में सफल हो सकता है कि पार्टी में एक मजदूर या फिर गरीब का बेटा भी सर्वोच्च पद पर पहुंच सकता है।
चायवाला वर्सेज मजदूर का बेटा…
खड़गे के रूप में कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिलने के बाद पार्टी में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इसकी शुरुआत भी विभिन्न पदों द्वारा दिए गए इस्तीफों से हो चुकी है। यह साफ है कि अब खड़गे अपनी नई टीम बनाएंगे, जिसपर आने वाले चुनावों में पार्टी का न सिर्फ प्रदर्शन बेहतर करने की चुनौती होगी, बल्कि जीत दिलवाने की भी जिम्मेदारी होगी। आने वाले चुनावों में पार्टी नया नैरेटिव सेट करने की भी कोशिश करेगी। पार्टी पीएम मोदी के चायावले के बेटे के खिलाफ खड़गे के मजदूर का बेटा होने का भी नैरेटिव सेट कर सकती है। मालूम हो कि पीएम मोदी के पिता दामोदर दास मोदी गुजरात के वडनगर रेलवे स्टेशन पर लंबे समय तक चाय बेचते थे। इसी स्टेशन पर पीएम मोदी का भी बचपन गुजरा है। वे चाय की दुकान पर अपने पिता का हाथ बंटाते और यात्रियों को चाय पिलाते। वहां से शुरू होकर मोदी प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे।
खड़गे को करना होगा कई चुनौतियों का सामना
कांग्रेस को 24 सालों के बाद भले ही गैर-गांधी नेता पार्टी के अध्यक्ष तौर पर मिल गया हो, लेकिन इतने भर से ही पार्टी की नैया पार नहीं होने वाली है। एक के बाद एक कई चुनावों को हारने के बाद कांग्रेस को कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यूपी, बिहार, दिल्ली समेत ज्यादातर हिंदी बेल्ट वाले राज्यों में पार्टी चुनावी मैदान से एकदम ही बाहर हो गई है। असम समेत पूर्वोत्तर के राज्यों में भी, जोकि एक समय पार्टी का गढ़ माना जाता था, वहां पर भी काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में खड़गे को आने वाले समय में न सिर्फ कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ताओं को फिर से एक्टिव करना होगा, बल्कि बीजेपी को वोट देने वाले बड़ी संख्या में युवाओं को भी पार्टी से जोड़ना होगा। साथ ही, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी का प्रदर्शन सुधारना होगा।