लाड़ली बहना योजना : हड़ताल पर आंगनवाड़ी कायकर्ता, प्रभावित हो रही योजना…

भोपाल : मुख्यमंत्री लाड़ली बहन योजना के तहत लाभ लेने के लिए शनिवार से फार्म भरवाने के लिए जगह-जगह शिविर का आयोजन किया जा रहा है। ऐसे में वहीं मौके पर ई-केवायसी करवाई जा सकेगी और इसके के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा। 25 मार्च से 30 अप्रैल तक ही आवेदन भरे जा सकते हैं। सभी जन-प्रतिनिधि और अधिकारी-कर्मचारी योजना के क्रियान्वयन से मिशन मोड में अंतर्रात्मा से जुड़ें।

लेकिन आंगनवाड़ी कायकर्ता द्वारा लगातार हड़ताल की जा रही हैं। वह 15 मार्च से अब तक हड़ताल पर है। ऐसे में ये योजना प्रभावित हो रही है। महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त मोर्चा संघ के परियोजना अधिकारी एवं पर्यवेक्षक पिछले 30 सालों से वेतन को लेकर आवाज उठा रहे हैं लेकिन उनकी एक नहीं सुनी जा रही है। इस वजह से अब वह हड़ताल का सहारा ले रहे हैं।

प्रभावित हो रही लाड़ली बहना योजना

लेकिन इस वजह से लाड़ली बहन योजना प्रभावित हो रही है क्योंकि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और परियोजना अधिकारी के देखरेख में ही केवायसी का काम किया जाना है और अब तक कई लोगों की केवायसी पूरी नहीं हुई है। एमपी ऑनलाइन वाले भी कम पैसों में केवायसी करने को तैयार नहीं है। जो लोग मुफ्त में केवायसी करवाना चाहते हैं उन्हें शिविर में और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की मदद से करवाना होगी। लेकिन ये सुविधा प्रभावित हो रही हैं।

जानकारी के मुताबिक, संयुक्त मोर्चा के जिला अध्यक्ष भेरुलाल शिरौले का कहना है कि वह सभी लोग लगातार लंबित वेतन विसंगति को लेकर आवाज उठा रहे हैं और मांग कर रहे हैं। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री से मुलाकात करने के लिए भी कई बार उन्होंने निवेदन किया लेकिन अब तक उसे स्वीकृति नहीं दी गई। ऐसे में सभी कार्यकर्त्ता निराश है। उनका कहना है कि वह सीएम को पोस्टकार्ड भी कई बार भेज चुके हैं लेकिन इस पर कोई सुनवाई नहीं की जा रही हैं।

इंटरनेट पर भी इसको लेकर मुहीम चलाई जा रही हैं। दरअसल, सभी की कुछ मांगें हैं। वह चाहते हैं कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, मिनी कार्यकर्ता, सहायिका को नियमित कर दिया जाए। साथ ही उन्हें न्यूनतम वेतन दिया जाएगा। साथ ही अगर किसी की मृत्यु होती है तो उसे 5 लाख रूपये प्रोत्साहन राशि दी जाए। वहीं मिनी कार्यकर्त्ता को 3 लाख तक की राशि दी जाना चाहिए। इसके अलावा उन्हें ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाए। इसके अलावा भी उनकी कई मांगे है। लेकिन इस पर कोई सुनवाई नहीं की जा रही हैं।

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