उज्जैन : साल 2028 में उज्जैन में 12 साल में एक बार आयोजित किए जाने वाले कुंभ मेले का भव्य आयोजन होने वाला है। बीते कुछ दिनों से सिंहस्थ मेले की जमीन लेकर वाद-विवाद की स्थिति देखी जा रही है। यहां लगभग 872 एकड़ जमीन सिंहस्थ क्षेत्र के लिए आवंटित की गई थी, जिसमें से 185 एकड़ का लैंडयूज बदलकर उसे अलग कर दिया गया है। हैरानी की बात तो यह है कि इस जमीन में उच्च शिक्षा मंत्री और उज्जैन दक्षिण के विधायक मोहन यादव, उनकी पत्नी बहन और नौकरों के नाम पर ली गई 29 एकड़ जमीन भी शामिल है।
बीते दिनों उज्जैन का मास्टर प्लान 2035 घोषित किया गया था। उसी में 185 एकड़ की जमीन का लैंडयूज़ बदलकर इसे कृषि की जगह आवासीय बताया गया है। निजी कालोनियां डेवलप करने के उद्देश्य से ऐसा किया गया है। अब मंत्री यादव की जमीन इस क्षेत्र में होने का मामला सामने आने के बाद ये आरोप लगाए जा रहे हैं, कि उन्हें फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से यह सब किया जा रहा है और उन्हीं की वजह से मास्टर प्लान ढाई सालों से अटका हुआ था।
13 करोड़ जनता आने का अनुमान
उज्जैन में 12 साल में एक एक बार आयोजित होने वाले सिंहस्थ मेले में शामिल होने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस बार 10 से 13 करोड श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया जा रहा है। इतनी ज्यादा संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति को देखते हुए जमीन की आवश्यकता भी ज्यादा होगी। लेकिन इस तरह से जमीन को आवासीय बनाने का फैसला उज्जैन और सिंहस्थ के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
सिंहस्थ मेला क्षेत्र की जमीन इनके नाम
सिंहस्थ मेला क्षेत्र से जमीन को मुक्त करने के साथ ही मास्टर प्लान में जिन जगहों का लैंडयूज़ बदला गया है उनमें से अधिकतर बीजेपी के मंत्रियों के मालिकाना हक की जमीन है, जिसमें उनके परिवार समेत कई अन्य लोगों के नाम शामिल हैं। प्रभावशाली नेताओं के साथ बिल्डरों के नाम पर भी यहां की जमीनें हैं। साल 2014 में सिंहस्थ मेला सैटेलाइट टाउन बनाने के लिए एक अस्थाई मेला क्षेत्र घोषित किया गया था और 352 हेक्टेयर जमीन रिजर्व की गई थी। जिसमें से मास्टर प्लान के नाम पर 185 एकड़ को अलग कर दिया गया है।
कैसे बनेंगे सैटेलाइट शहर
सिंहस्थ के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई अस्थाई निर्माण किए जाते हैं और इस तरह के क्षेत्र में किसी भी तरह के आवासीय और व्यवसायिक निर्माण की अनुमति नहीं दी जाती है। जिस जमीन को मुक्त करने का मामला सामने आया है वह सैटेलाइट टाउन की जमीन है। जहां पर देश और दुनिया भर से आने वाले संतो और श्रद्धालुओं की व्यवस्था के लिए अस्थाई शहरों का निर्माण किया जाता है। ये सैटेलाइट टाउन के नाम से पहचाने जाते हैं और जहां से ट्रैफिक डायवर्ट होता है वहां से इन्हें बनाया जाता है। 185 एकड़ क्षेत्र को भूमि से अलग कर देने के बाद अब यह अस्थाई शहर कैसे और कहां बनाए जाएंगे और साधु-संतों तथा श्रद्धालुओं को सुविधा कैसे मिलेगी, यह एक बड़ा सवाल है।