,पटना : बिहार में महागठबंन सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार से पहले ही लेफ्ट मोर्चे की सबसे बड़ी पार्टी सीपीआई-एमएल ने न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाने की मांग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कर दी है। बिहार में माले के 12 विधायक हैं जबकि सीपीआई और सीपीएम दोनों के 2-2 विधायक हैं। जब केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार चल रही थी तब सीपीएम-सीपीआई जैसे वामदलों ने यूपीए से सरकार चलाने के लिए एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनावाया था जिसमें गठबंधन के सभी दलों का एजेंडा शामिल था।
भाकपा-माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा है कि बिहार में महागठबंधन सरकार का कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनना चाहिए। महागठबंधन में जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई-एमएल, हम, सीपीएम और सीपीआई कुल सात दल शामिल हैं। दीपांकर भट्टाचार्य के नेतृत्व में माले विधायकों और नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने जा रहा है जहां वो अपनी बात रखेगा।
नीतीश कुमार पर अभी पीएम कैंडिडेट का बोझ देना जल्दबाजी होगीः दीपांकर भट्टाचार्य
इससे पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि माले सरकार में शामिल नहीं होगी बल्कि बाहर से सरकार का समर्थन करेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से मिलकर न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाने पर चर्चा की जाएगी। नीतीश कुमार के 2024 के लोकसभा चुनाव में पीएम कैंडिडेट बनने के सवाल पर भट्टाचार्य ने कहा कि इस मुद्दे पर कुछ भी कहना और नीतीश कुमार पर भी अभी इतना बोझ देना जल्दबाजी होगी।
माले महासचिव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से राज्य के सभी आयोग का पुनर्गठन करने की भी मांग की है। इस समय बिहार के ज्यादातर आयोग में एनडीए के नेता काबिज हैं।